tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post1607485161421025758..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: एक कविता कश्मीर के लिये…Ashok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-36750587808521595132010-09-22T05:58:55.985+05:302010-09-22T05:58:55.985+05:30निंसःदेह उन लोगो को शर्म आनी चाहिए जिन्होंने ऐसा म...निंसःदेह उन लोगो को शर्म आनी चाहिए जिन्होंने ऐसा माहौल बनाया है देश में। मगर ऐसे लोगो को शर्म आ ही जाती तो कहने ही क्या। दुनिया निबट जाए तब ऐसे लोगो को शर्म न आए। कश्मीर की इबारत लिखी नहीं, बल्कि सरहद पार से मांग के लाई गई है। <br /><br />कश्मीरी पंडितों का कत्लोग़राते किसने कराया?<br />हाथ में पत्थर लेकर आने के लिए किसने कहा। <br />भारतीय सेना कहीं तो जवाबदेह है? जिस पाकिस्तना का झंडा श्रीनगर में फहरा देते हैं उसने जो बांग्लादेश मे किया वो याद दिलाना पड़ेगा क्या?<br /> <br />या कबाइलों के भेष में इन्हीं कश्मीरियों के साथ क्या व्यवहार किया था 48 में ये भी याद दिलाला पड़ेगा क्या?Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-6362397692823555002010-09-21T09:00:40.616+05:302010-09-21T09:00:40.616+05:30शर्म असल में उन्हेण आनी चाहिये जिन्होंने इस देश मे...शर्म असल में उन्हेण आनी चाहिये जिन्होंने इस देश में ऐसा माहौल बना दिया कि धर्मनिरपेक्षता मजाक बन कर रह गयी…कश्मीर को समझने के लिये जो उसके इतिहास में नहीं जाना चाहते, विभाजन और उसके बाद की ग़ल्तियों को सुधारने की जगह बस डंडे के ज़ोर से श्मशानी शांति की वक़ालत करते हैं और सड़कों पर लिखी साफ़ इबारत को प्रचण्ड सांप्रदायिक नारों से धुलना चाहते हैं वे असल में इस देश और मानवता के शत्रु हैं।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-91943173024130798672010-09-21T04:20:53.156+05:302010-09-21T04:20:53.156+05:30शर्म आनी चाहिए ऐसी कविता लिखने वाले को और कश्मीर क...शर्म आनी चाहिए ऐसी कविता लिखने वाले को और कश्मीर को फिलिस्तीन कहने के लिए। कश्मीरी हिंदुओं की सरहद पार से पैसे लेकर हत्या कर के उन्रहें घर से बेघर कर दिया। पर किसी को उनका दर्द कभी नहीं दिखता। कहतें हैं कि पड़ोसी भूखा हो तो एक मुस्लमान के लिए खाना हराम है। पर यहां तो पड़ोसी के खून में डूबो के रोटी खाई है बहुसंख्यक लोगो ने। कई तो ऐसे जिनके तीन चार पीढ़ी पहले तक पुरखे हिंदू ही थे। फिर भी उन्हें शर्म नहीं। <br /><br />सरहद पार से अब पैसे लेकर सेना पर पत्थर बरसाओ और उम्मीद करो कि सेना चुप बैठी रही। आंसू गैस के गोले बरसाने वाली तस्वीर लगा के भावनाएं भड़काने का मतलब क्या है। काम नहीं होने पर सारे देश के युवा हथियार उठा लें तो देश कहां रहेगा। <br /><br />ऐसी कविताओं की भर्त्सना करता हूं। ये सिर्फ और सिर्फ हिंदू मुसलमानों में क़ड़वाहट फैलाने का एक प्रयास मात्र है औऱ कुछ नहीं।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-52880351276326050782010-09-07T14:30:44.828+05:302010-09-07T14:30:44.828+05:30wah bahut sunder :)
http://liberalflorence.blogsp...wah bahut sunder :)<br /><br />http://liberalflorence.blogspot.com/Dr. Tripat Mehtahttps://www.blogger.com/profile/06972787985997523606noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-70713812929978842202010-09-07T12:59:53.134+05:302010-09-07T12:59:53.134+05:30विचार शून्य की बातो से अक्षरसः सहमत , लाल चश्मे की...विचार शून्य की बातो से अक्षरसः सहमत , लाल चश्मे की नजर से दिखाई गयी दुनिया जो की आज दुनिया से अलविदा कहने के कगार पर है.ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-80717921074608527362010-09-07T01:07:48.442+05:302010-09-07T01:07:48.442+05:30पहली बात तो ये कश्मीर की आवाम ही नहीं है . कश्मीर...पहली बात तो ये कश्मीर की आवाम ही नहीं है . कश्मीर तो बिना अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितो के पूरा नहीं है जो की यहाँ के कट्टरपंथी बहुसंख्यक लोगो के सहयोग से भगाए और मारे गए .<br />वे कश्मीरी पंडित जिन के रग रग में देश प्रेम है अपने ही देश में विस्थापित है खानाबदोशो की तरह <br />उन का दोष है की वे देश प्रेमी है <br />हाय रे विडम्बना , <br />ये कैसा देश है जिस में देशप्रेम की सजा अपनों के खून , बहु बेटियों की इज्जत और अपने ही देश में विस्थपित हो कर चुकानी पड़ती है .उन की सुध लेने वाला कोई नहीं . वे मरते है तो मर जाये हमें क्या .<br />लेकिन देशद्रोही जो चाहे कर सकते है जब चाहे कश्मीर में कही भी पाकिस्तानी झंडा फहरा सकते है . अल्प संख्यको के भीषण नर संघार कर सकते है और अब सिक्खों के लिए फ़तवा आया है <br /> सब जायज है भाई <br />उन के लिए कितनी गहरी आत्मसहानुभूति है की कितनी प्यारी प्यारी कविताये लिखी जा रही है <br />धन्य है आप जैसे सैकुरल लोग ,जिन की कलम कश्मीरी पंडितो के दर्द पर एक शब्द नहीं लिख पाई. <br />आप को मेरा कोटि कोटि दंडवत प्रणाम <br />अगर आप लोकतंत्र में श्रद्धा और अपनी बात कहने का अधिकार को मानते है तो इसे डिलीट मत करनाABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-59904737081466536302010-09-06T09:14:39.854+05:302010-09-06T09:14:39.854+05:30बेहतर होता कि गिरिजेश बताते कि उनका 'जन' क...बेहतर होता कि गिरिजेश बताते कि उनका 'जन' कौन है और वे किन 'मिथकों' के भ्रम में जी रहे हैं…सरकारी बयानों,पूंजीपतियों के टी आर पी पिपासु चैनलों और नागपुरी झूठ के बनाये मिथकोंं पर अगर वह हमे विश्वास दिलाना चाहते हैं तो भाई उन्हें हम अपनी किताबों पर बिलाशक़ भरोषा करते हैं…<br /><br />ले दे के अपने पास फकत एक नज़र तो है/ क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम…Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-64986127840269588012010-09-06T08:57:21.014+05:302010-09-06T08:57:21.014+05:30इसे मैं सही अर्थों मे एक राज्नैतिक कविता कहूँगा ....इसे मैं सही अर्थों मे एक राज्नैतिक कविता कहूँगा ...पिछले एक दशक से , हो सकता है उस से भी बहुत पहले से , कविता मे सुरंगे ही सुरंगे बन रही हैं. कविता मे काबुल और कश्मीर के बाद तुरत एक नाम और आता है! <br /><br /># शरद कोकास ,आपने अग्निशेखर की अच्छी याद दिलाई भाईजी. यह भारतीय *ध्यान* ( बल्कि हिन्दी ध्यान कहना चाहिए) की अनूठी परम्परा है ! वह यूँ ही किसी तरफ नही चली जाती. जब 1962, नेफा, कर्गिल हो चुकते हैं उस के बाद ही चिल्ल पों होती है.और इस अल्मस्त भारतीयता के हम सब कायल हैं.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-16914521051407020052010-09-06T06:36:56.172+05:302010-09-06T06:36:56.172+05:30जाने तुम लोगों के जन कौन हैं?
जनपक्ष क्या है?
जनज...जाने तुम लोगों के जन कौन हैं?<br />जनपक्ष क्या है? <br />जनज्वार किधर है?<br />लगता है कि तुम लोग मिथक गढ़ रहे हो <br />मिथकीय दुनिया में रह रहे हो।<br />तुम्हारे मिथक कल्याण भाव नहीं <br />जनध्वंश की नींव पूरते हैं।<br />आँखें खोलो <br />बुद्धि को जुम्बिश दो <br />किताबी मिथकों के अलावा भी <br />दुनिया में बहुत कुछ है। <br />पीर का कोई रंग नहीं होता कवि! <br />उसे लाल चश्मे की नहीं <br />समझ भरी नज़र की ज़रूरत होती है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-47014828026856830622010-09-05T10:28:09.876+05:302010-09-05T10:28:09.876+05:30बढ़िया कविता है.
हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणीबढ़िया कविता है.<br /> <br /><a href="http://hamarivani.com" rel="nofollow">हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी</a>हमारीवाणीhttps://www.blogger.com/profile/02677178735599301399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-89253084347526998562010-09-05T08:16:41.901+05:302010-09-05T08:16:41.901+05:30सुंदर प्रस्तुति
मूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गु...सुंदर प्रस्तुति<br />मूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गुरु पाँव । <br />मूल नाम गुरु वचन है, मूल सत्य सतभाव ॥<br /><br /><a rel="nofollow"> हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है। </a>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-25237367314156106882010-09-04T23:48:23.471+05:302010-09-04T23:48:23.471+05:30बहुत कुछ कहती हुई कविता है। निश्चित ही इस परिस्थित...बहुत कुछ कहती हुई कविता है। निश्चित ही इस परिस्थिति से संबद्ध राजनीतिज्ञों का मानवीय दृष्टिकोण रिक्त हो रहा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-54893316314370509102010-09-04T23:32:58.387+05:302010-09-04T23:32:58.387+05:30यह एक अच्छी कविता है और पूरी ताकत के साथ सत्ता के ...यह एक अच्छी कविता है और पूरी ताकत के साथ सत्ता के व्यर्थता बोध को प्रस्तुत करती है । वैसे इतनी स्थूलता के साथ तो नही लेकिन कवि अग्निशेखर की भी कश्मीर पर कुछ महत्वपूर्ण कवितायें है जो उनके कविता संग्रह " जवाहर टनल " मे संग्रहित हैं । लेकिन उनपर अभी किसीका ध्यान नही गया है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-17930379716550400892010-09-04T19:31:25.535+05:302010-09-04T19:31:25.535+05:30bhayawah... sach mein kavita ek gahri khamoshi ko ...bhayawah... sach mein kavita ek gahri khamoshi ko todti hai...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-63169992049110909482010-09-04T18:57:45.523+05:302010-09-04T18:57:45.523+05:30कश्मीर पर अच्छी कविता है. पढवाने का शुक्रिया.कश्मीर पर अच्छी कविता है. पढवाने का शुक्रिया.prabhat ranjanhttps://www.blogger.com/profile/13501169629848103170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-55645696040383268072010-09-04T14:23:39.683+05:302010-09-04T14:23:39.683+05:30पूरी कविता और फोटो सिर्फ लोगों कि भावनाएं भड़काने ...पूरी कविता और फोटो सिर्फ लोगों कि भावनाएं भड़काने के लिए है. ये एक बचकानी हरकत है एक धार्मिक समूह को बरगलाने और मुर्ख बनाने की. चित्र में बन्दुक तान रहा सिपाही आंसू गैस के गोले दाग रहा है जो की अपने इतने करीब की किसी महिला के सिर का निशाना बनाकर कभी भी नहीं दागे जायेंगे पर हाँ जब लोगों को बेवकूफ बनाना हो वो भी कम पढ़े लिखे मुस्लिम समाज को तो जरुर इस तरह की तस्वीरें एक बेकर सी कविता के साथ पेश की जा सकती है.<br /><br />बहुत बढ़िया लगे रहो...VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-67791963986027305962010-09-04T14:20:52.030+05:302010-09-04T14:20:52.030+05:30शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है। ए...शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है। एक सच्चे, ईमानदार कवि के मनोभावों का वर्णन। बधाई।<br /><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/09/blog-post.html" rel="nofollow"> फ़ुरसत में .. कुल्हड़ की चाय, “मनोज” पर, ... आमंत्रित हैं! </a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com