tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post2588718247891592188..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: मार्क्सवाद के मूलभूत सिद्धांत - १Ashok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-54496868341181732002016-07-21T17:01:27.730+05:302016-07-21T17:01:27.730+05:308375072473..swagt8375072473..swagtAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-7164688470928002522016-07-21T01:58:01.243+05:302016-07-21T01:58:01.243+05:30सर आपका फ़ोन नंबर दें ताकि इस किताब को मंगा सकूँसर आपका फ़ोन नंबर दें ताकि इस किताब को मंगा सकूँAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05069419297036557611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-70628774183301946192012-05-22T19:53:11.149+05:302012-05-22T19:53:11.149+05:30बढ़िया और ज्ञानवर्धक पहलबढ़िया और ज्ञानवर्धक पहलVipin Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/05090451479975418329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-1170623926752191962012-03-14T07:01:12.119+05:302012-03-14T07:01:12.119+05:30कड़ी के अगले लेखों की प्रतीक्षा रहेगी। मुझे लगता है...कड़ी के अगले लेखों की प्रतीक्षा रहेगी। मुझे लगता है गंभीर विवेचनाओं के तौर-तरीकों से अलग आपके लेखों से मुझे मार्क्सवाद के बारे कुछ अच्छा पारंभिक ज्ञान हो सकेगा, वह भी समकालिकता के साथ।Umeshhttps://www.blogger.com/profile/10308807738552566858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-715525945314165172012-03-13T11:26:26.926+05:302012-03-13T11:26:26.926+05:30इंतज़ार रहेगा !! ......मुझे विश्वास है यह प्रोजेक्...इंतज़ार रहेगा !! ......मुझे विश्वास है यह प्रोजेक्ट पूँजी वादियों और पूँजीपतियों और यहाँ तक कि मार्क्सवादी विद्वानों को भी सम्बोधित न हो कर आम , अशक्त और निस्सहाय आदमी को सम्बोधित होगा. कि वे मार्क्सवाद का मर्म सही से समझ जाएं . कुछ टर्म्ज़ की विस्तृत ऐतिहासिक व्याख्या चाहिये होगी -- जैसे "पार्टी स्कूल" ....."कम्यूनिज़्म" ..... आदि आदि.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-75981654638310222012-03-12T11:59:32.544+05:302012-03-12T11:59:32.544+05:30हमें बादल सरोज की टिप्पणी से सहमत मानिये !हमें बादल सरोज की टिप्पणी से सहमत मानिये !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-87619676421044477752012-03-11T07:39:50.577+05:302012-03-11T07:39:50.577+05:30अच्छी पहल..अच्छी पहल..प्रफुल्ल कोलख्यान / Prafulla Kolkhyan https://www.blogger.com/profile/08488014284815685510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-25876139250325130882012-03-10T18:13:08.061+05:302012-03-10T18:13:08.061+05:30अब तक सहमत .......देखें यह सहमति कितनी दूर तक ????...अब तक सहमत .......देखें यह सहमति कितनी दूर तक ????? या फिर असहमतियों का क्या हश्र होता है मार्क्सवाद के किले में ??संतोष कुमार चौबेhttps://www.blogger.com/profile/14678422623297138411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-7308870494644050922012-03-10T16:49:10.585+05:302012-03-10T16:49:10.585+05:30अशोक जी, निश्चित रूप से आपने एक बेहतर शुरुआत की है...अशोक जी, निश्चित रूप से आपने एक बेहतर शुरुआत की है. तमाम किंतु परन्तु के बावजूद मार्क्सवाद अगर आज भी प्रासंगिक है तो यही उसकी सफलता है. शोषितों वंचितों की बात मार्क्सवाद की आधारभूमि है और समाज, राजनीति और अर्थनीति तीनों के बीच के संबंधों को बेहतर तरीके से समझने की धुरी भी.आपकी लेखमाला अपने मंतव्य में जरूर सफल होगी. हमारी शुभकामनाएं.santosh chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/05850303341274524229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-3278968382644912622012-03-10T16:48:19.353+05:302012-03-10T16:48:19.353+05:30अशोक जी, निश्चित रूप से आपने एक बेहतर शुरुआत की है...अशोक जी, निश्चित रूप से आपने एक बेहतर शुरुआत की है.तमाम किंतु परन्तु के बावजूद मार्क्सवाद अगर आज भी प्रासंगिक है तो यही उसकी सफलता है. शोषितों वंचितों की बात मार्क्सवाद की आधारभूमि है और समाज,राजनीति और अर्थनीति तीनों के बीच के संबंधों को बेहतर तरीके से समझने की धुरी भी.आपकी लेखमाला अपने मंतव्य में जरूर सफल होगी. हमारी शुभकामनाएं.santosh chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/05850303341274524229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-8990101933722897582012-03-10T15:00:12.743+05:302012-03-10T15:00:12.743+05:30अशोक भाई बधाई....
-आप ने शुरुआत में ही ये गुंजाईश ...अशोक भाई बधाई....<br />-आप ने शुरुआत में ही ये गुंजाईश खत्म करदी की हम इसे वाम के मौजूदा स्वरुप से जोड़े....और उसका उदाहरण दे अनर्गल बहस में पड़े/ <br />-आप के इस प्रयास को पढ़ मेरे जैसे पूँजीवाद समर्थक को भी मार्क्स के मूल सिधान्तों के बारे में सही ज्ञान मिलेगा और साथ ही पुनर्विचार का एक मौका/<br />-आप समय-समय पर अपनी ही ओर से यदि वाम के मौजूदा स्वरुप और पतन के कारण पर भी रौशनी डाल पाए तो बेहतर होगा...एक बार पुन्ह आप के सहृदय प्रयास के लिए बधाई एवं शुभ कामनाये"तिनका" https://www.blogger.com/profile/12013680023441566562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-80381920234492921732012-03-10T14:59:45.355+05:302012-03-10T14:59:45.355+05:30अशोक भाई बधाई....
-आप ने शुरुआत में ही ये गुंजाईश ...अशोक भाई बधाई....<br />-आप ने शुरुआत में ही ये गुंजाईश खत्म करदी की हम इसे वाम के मौजूदा स्वरुप से जोड़े....और उसका उदाहरण दे अनर्गल बहस में पड़े/ <br />-आप के इस प्रयास को पढ़ मेरे जैसे पूँजीवाद समर्थक को भी मार्क्स के मूल सिधान्तों के बारे में सही ज्ञान मिलेगा और साथ ही पुनर्विचार का एक मौका/<br />-आप समय-समय पर अपनी ही ओर से यदि वाम के मौजूदा स्वरुप और पतन के कारण पर भी रौशनी डाल पाए तो बेहतर होगा...एक बार पुन्ह आप के सहृदय प्रयास के लिए बधाई एवं शुभ कामनाये"तिनका" https://www.blogger.com/profile/12013680023441566562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-89515992733102772062012-03-09T18:04:10.463+05:302012-03-09T18:04:10.463+05:30हम सबके लिए एक बहु-प्रतीक्षित शुरुवात .....उम्मीद ...हम सबके लिए एक बहु-प्रतीक्षित शुरुवात .....उम्मीद है कि इससे हमारे समय के कई जाले साफ़ होंगे....प्रस्तावना हमें साथ लेकर चलने की उम्मीद जगाती है ...हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जैसे जैसे यह श्रृंखला आगे बढ़ेगी , हमारी भागीदारी भी सक्रिय होती जायेगी ......और फेसबुक तथा ब्लॉगों की दुनिया का यह उपयोग हमें इसके आलोचकों को जबाब देनें के लिए भी एक बेहतर तर्क उपलब्द्ध कराएगा...|..हमारी ढेर सारी शुभकामनाये आपको ...रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-87778863334359550632012-03-09T15:28:36.105+05:302012-03-09T15:28:36.105+05:30भूमिका अच्छी है !आशा है लेखमाला नए पाठकों की मार्क...भूमिका अच्छी है !आशा है लेखमाला नए पाठकों की मार्क्सवाद को समझने में सहायता करेगी ,साथ ही पुराने मार्क्सवादियों की समझ को भी माँज कर चमकाने में मदद करेगी !विषय कठिन है जिसे समझाने के लिए दैनिक जीवन के सरल उदाहरणों की मदद ली जा सकती है !इससे रोचकता भी बनी रहेगी !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-75023971224996903632012-03-09T14:45:01.744+05:302012-03-09T14:45:01.744+05:30मोहन सर से सहमत..! लेखन का औचित्य सही तरीके से प्र...मोहन सर से सहमत..! लेखन का औचित्य सही तरीके से प्रतिपादित हो गया. नवागतों और अनुभवियों के लिए भी. आपने भाषा एवं विचार के लिए जो प्रतिमान तय किया,उसमें सफल हैं. शुभेच्छायें.समीर यादवhttps://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-19420671547960398562012-03-09T12:36:16.536+05:302012-03-09T12:36:16.536+05:30शुरुआत में ही इतना क्षमा प्रार्थी होने की जरुरत नह...शुरुआत में ही इतना क्षमा प्रार्थी होने की जरुरत नहीं है. उद्देश्य अच्छा है. मार्क्सवाद व्यक्ति को समाज साक्षर बनाने की नहीं, शिक्षित बनाने की बात करता है. यह न तो पंचांग है न कुंडली, न कुतुबनुमा है न नक्शा..यह ठोस परिस्थितियों के ठोस अध्ययन का एक नजरिया है..एक औजार है. रही मौजूदा वक़्त में इसकी प्रासंगिकता की तो इस पर वे ही सवाल उठा रहे हैं जो इस से डर रहे हैं. नव पूंजीवाद के पुरोधा जोसेफ स्तिग्लित्ज़ ने २००८ के संकट के बाद एक आयोजन में एरिक होब्स्वोम की बांह पकड़ कर कहा था कि "इस भद्र पुरुष (मार्क्स) ने डेढ़ सौ साल पहले ही देख लिया था कि पूंजीवाद किस तरह के संकट में घिरने वाला है- अगर बीमारी की सही सही जानकारी इसके पास थी तो समाधान भी उसी का सही होगा" हाँ...हम बिना कोई उपक्रम किये बैठे रहें, और एक किनारे बैठे सदियाँ गुजार दें तो इसका मतलब यह नहीं कि "किनारा उस ओर है और इसे तैर कर पार करना होगा" कहने वाला गलत था.सामाजिक बदलाव के लिए वस्तुगत परिस्थितियाँ ही काफी नहीं- मनोगत तैयारियां भी जरूरी हैं. इन्हें न कर पाना हम जैसों की (व्यवहार की)<br /> असफलता है...विचार की नहीं.badal sarojhttps://www.blogger.com/profile/11249764438637286008noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-39775738059917606932012-03-09T12:12:18.561+05:302012-03-09T12:12:18.561+05:30अच्छे नोट पर शुरुआत है. इससे इस लेखन का औचित्य सही...अच्छे नोट पर शुरुआत है. इससे इस लेखन का औचित्य सही तरीक़े से प्रतिपादित हो गया है. ध्यान आगे रखना है. मेरा सुझाव है कि अगले अध्याय में पहले मार्क्सवाद के तीनों स्रोतों को ले लेना, फिर आगे बढ़ना. यह महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-77432682234417406492012-03-09T10:25:56.060+05:302012-03-09T10:25:56.060+05:30आपने जो अच्छे संकेत दिये हैं उन्हे पढ़ने का इंतजार...आपने जो अच्छे संकेत दिये हैं उन्हे पढ़ने का इंतजार रहेगा।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.com