tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post4034608268371154294..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: जनसत्ता के झूठ और चंचल चौहान का जवाब Ashok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-21017718535510150582013-09-16T09:09:55.709+05:302013-09-16T09:09:55.709+05:30दरअसल मुक्तिबोध ने श्रीपाद अमृत डांगे को पत्र लिखा...दरअसल मुक्तिबोध ने श्रीपाद अमृत डांगे को पत्र लिखा था ई एम् एस नम्बूदरीपाद को नहीं .भारत भूषण अग्रवाल के नाम भी मुक्तिबोध का पत्र मुक्तिबोध रचनावली के खंड ६ में शामिल है .वीरेन्द्र यादवhttps://www.blogger.com/profile/14336452592982199267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-86143140643221555622013-09-15T18:01:24.009+05:302013-09-15T18:01:24.009+05:30प्रेमचंद को निशाना तब से बनाया जाता रहा जब से उन्ह...प्रेमचंद को निशाना तब से बनाया जाता रहा जब से उन्होंने अपनी लेखनी से साम्राज्यवादी एवं प्रतिरोधक ताकतों की खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया। इसीलिए हर युग में प्रेमचंद सबके निशाने पर होते हैं....राजकिशोर जैसे लेखक हमेशा से होते रहे हैं जो समाज में मिथ्यावाद फैलाते रहे हैं।शशांक शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/01571717101296611327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-62615853275083437452013-09-15T15:22:42.699+05:302013-09-15T15:22:42.699+05:30जरूरी, समुचित और हस्तक्षेपमूलक उत्तर।जरूरी, समुचित और हस्तक्षेपमूलक उत्तर।Kumar Ambujhttps://www.blogger.com/profile/15871197473217042665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-4646867808986218742013-09-15T12:58:08.847+05:302013-09-15T12:58:08.847+05:30क्या चाहते हैं ये और इनके दक्षिणपंथी आका ?...यही क...क्या चाहते हैं ये और इनके दक्षिणपंथी आका ?...यही कि जितने भी साहित्यकार,बुद्धिजीवी आज तक हुए सब कम्युनिस्ट विरोधी थे ,कम्युनिज्म का विरोध इसलिए करना चाहिए ,सबका यह एक नैतिक उत्तरदायित्व है ,कम्युनिस्टों को कुचल दो और कम्युनिस्म को उखाड़ फेंको .......इतना डर समाया है इनके भीतर ...कमाल है |अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-19697313824802827902013-09-15T10:58:19.871+05:302013-09-15T10:58:19.871+05:30बढ़िया आलेख है. ध्यान देने की बात यह है कि अखबार अप...बढ़िया आलेख है. ध्यान देने की बात यह है कि अखबार अपने सुनिश्चित अजेंडे को सुनियोजित तौर पर आगे बधा रहा है. वाम-विरोध किन शक्तियों को लाभ पहुंचाता है, यह बात सब समझते हैं. यह पत्रकारिता के पराभव का काल है.वह निजी हिसाब-किताब के लिए किसी का चरित्र-हनन तक कर सकते हैं, और प्रतिवाद दर्ज़ करने पर उसे "चोर की दाढ़ी में तिनका" भी कह सकते हैं.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com