tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post5352086223747547799..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: जहाँ नहीं पहुंचती विकास की कोई किरण - रामजी तिवारी Ashok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-45795068282094800452013-11-28T21:19:22.137+05:302013-11-28T21:19:22.137+05:30'शलभ' श्री राम सिंह की याद आ गयी, मित्र !
...'शलभ' श्री राम सिंह की याद आ गयी, मित्र !<br />"घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए;<br />जवाब-दर-सवाल है कि इन्कलाब चाहिए !<br />इन्कलाब ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद इन्कलाब !!"GIRIJESH TIWARIhttps://www.blogger.com/profile/12805715167998340624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-71829492346431415302013-11-28T20:43:49.126+05:302013-11-28T20:43:49.126+05:30'शलभ' श्री राम सिंह की याद आ गयी, मित्र !
...'शलभ' श्री राम सिंह की याद आ गयी, मित्र !<br />"घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए;<br />जवाब-दर-सवाल है कि इन्कलाब चाहिए !<br />इन्कलाब ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद इन्कलाब !!"GIRIJESH TIWARIhttps://www.blogger.com/profile/12805715167998340624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-43637982437655716462013-11-28T05:26:33.737+05:302013-11-28T05:26:33.737+05:30बहुत अच्छा लेख है जिसमें बलिया की विभिन्न समस्याओं...बहुत अच्छा लेख है जिसमें बलिया की विभिन्न समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया गया है.आपने एक भुक्तभोगी की पीड़ा व्यक्त की है जिससे यह पठनीय और प्रमाणिक बन गया है. आजकल शम्सुर्रहमान फ़ारूकी की कानियाँ पढ़ रही हूँ. उनकी सेटिंग इतिहास के अलग अलग कालों में है. आप अपने इलाके पर बढ़िया उपन्यास या कहानियां लिख सकते हैं क्योंकि आपकी शैली जीवंत है.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-56841791336948534582013-11-28T01:07:31.549+05:302013-11-28T01:07:31.549+05:30रामजी भाई, दिल दुखी हो जाता है, या कहूं रहता ही है...रामजी भाई, दिल दुखी हो जाता है, या कहूं रहता ही है। एक भयानक सच आपने बयान किया है। यह कहते हुए और भी शर्म आती है कि आपने बेहतरीन लिखा है। इस त्रासदी का क्या कोई अंत है? अब तो विकास के नए दौर में इन गांवों की वैसे भी कोई क्यूं सुनेगाEk ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-70427830217175054312013-11-27T21:29:08.130+05:302013-11-27T21:29:08.130+05:30पड़ोसी हूँ. इस विभीषिका से परिचित हूँ लेकिन इस कदर ...पड़ोसी हूँ. इस विभीषिका से परिचित हूँ लेकिन इस कदर भयावह तस्वीर है, रोंगटे खड़ा करने वाला.. ओह! युवा तुर्क प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के संसदीय क्षेत्र की यह दुर्दशा!!डॉ रमाकान्त रायhttps://www.blogger.com/profile/03111529414152355355noreply@blogger.com