tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post758500437841303126..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: परचम और अधिक सुर्खरू हो जाता है...Ashok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-42794166602286715642011-11-09T00:03:18.892+05:302011-11-09T00:03:18.892+05:30कविता के लिए शुक्रिया…लेकिन एक शिकायत कि जब लेखक अ...कविता के लिए शुक्रिया…लेकिन एक शिकायत कि जब लेखक अंग्रेजी में न लिखकर गैर-अंग्रेजी भाषा में लिख चुका हो तो उसकी रचना या सन्दर्भ या नाम-पता कुछ भी या तो हिन्दी में(प्रस्तुत की जा रही भाषा में हो) हो या मूल भाषा में…जैसे मार्क्स के लिए सारे लेखक अंग्रेजी की चिप्पी लगा जाते हैं…मानो उन्होंने सब कुछ अंग्रेजी में लिख डाला हो…चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-44469691637300066032011-11-08T00:03:50.756+05:302011-11-08T00:03:50.756+05:30इस कविता को पढ़वाने के लिए आभार!इस कविता को पढ़वाने के लिए आभार!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-55332842431515479642011-11-07T10:07:15.964+05:302011-11-07T10:07:15.964+05:30भाई, मैं भी सोच रहा था इस कविता के बारे में, पर इत...भाई, मैं भी सोच रहा था इस कविता के बारे में, पर इतना हिस्सा तक उपलब्ध न था मेरे पास. जितना भर पढ़वा दिया उसके लिए मन से आभार.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com