tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post7911542825379731502..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: मार्क्सवाद के मूलभूत सिद्धांत - भूमिका के पहलेAshok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-86344778840635453822017-02-04T15:35:17.066+05:302017-02-04T15:35:17.066+05:30यह प्रयास शोध छात्र के लिए सहयोगी सिद्ध होगायह प्रयास शोध छात्र के लिए सहयोगी सिद्ध होगापाण्डेय अजेयhttps://www.blogger.com/profile/11146930039695413507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-86369071958337092812014-05-06T23:33:16.204+05:302014-05-06T23:33:16.204+05:30जी. कृपया भेजिए.जी. कृपया भेजिए.Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-18955839944779517402014-05-06T23:26:55.571+05:302014-05-06T23:26:55.571+05:30महोदय, एक जरूरी काम है कि मार्क्स, एंगेल्स और लेनि...महोदय, एक जरूरी काम है कि मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन के संपूर्ण साहित्य का निचोड़ उन्हीं के शब्दों में एक जगह प्रस्तुत किया जाए. इसे कई महीनों की मेहनत से मैंने पूरा किया है. आप केलिए इसका कोई उपयोग ? अमिताभ.Amitabhhttps://www.blogger.com/profile/09277398728011160558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-80550251912028637992012-08-08T11:43:13.117+05:302012-08-08T11:43:13.117+05:30कार्ल मार्क्स इस्लामी विरोधी थाकार्ल मार्क्स इस्लामी विरोधी थाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14760258128877324254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-48261984811676940172012-02-27T10:23:53.700+05:302012-02-27T10:23:53.700+05:30सार्थक पोस्ट, आभार.
मेरे ब्लॉग meri kavitayen की...सार्थक पोस्ट, आभार.<br /><br /> मेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.S.N SHUKLAhttps://www.blogger.com/profile/16733368578135625431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-18346330152790937202012-02-27T10:20:05.148+05:302012-02-27T10:20:05.148+05:30badhaeebadhaeeIsh Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01274434455887802548noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-25766793737014206772012-02-27T10:19:48.418+05:302012-02-27T10:19:48.418+05:30बधाई और सहयोग का वायदा.बधाई और सहयोग का वायदा.Ish Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01274434455887802548noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-36704024542950073302012-02-25T16:52:32.311+05:302012-02-25T16:52:32.311+05:30मैंने 'इस्लाम' शब्द का प्रयोग कट्टरता के प...मैंने 'इस्लाम' शब्द का प्रयोग कट्टरता के पर्याय के तौर पर किया ...यहाँ भगवा तालिबानी भी हैं ..किसी धर्म-विशेष या उसके अनुयायी की आस्था को ठेस पहुचाना मेरा मकसद कतई नहीं था ..मेरे लिए "कट्टरता" वर्ज्य है ..वह चाहे किसी धर्म , नस्ल या रंग की हो ..आँख फोड देने वाले चटख रंग मुझे नहीं सुहाते ..वो चाहे भगवा हो , हरा हो या फिर लाल ही क्यूँ न हो ...संतोष कुमार चौबेhttps://www.blogger.com/profile/14678422623297138411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-73733253998157656952012-02-25T14:12:32.252+05:302012-02-25T14:12:32.252+05:30एक अच्छी जानकारी और सार्थक चर्चा की उम्मीद है। आपन...एक अच्छी जानकारी और सार्थक चर्चा की उम्मीद है। आपने ठीक कहा कि इस संपूर्ण चर्चा को अंधभक्ति के साथ और दूसरे सिरे पर अंधविरोध के साथ नहीं पढ़ा-समझा जाना चाहिए। दिक्कत सिर्फ वाद की है। दरअसल मनुष्यता सारी स्वस्थ चिंताओं और चिंतन के केंद्र में है। और यह चिंतन किसी एक व्यक्ति तक सीमित नहीं हो सकता। उम्मीद है, आप भी मार्क्स को केंद्र में रखने के स्थान पर मार्क्स की उन शाश्वत चिंताओं और चिंतन को केंद्र में रखेंगे, जो सनातन हैं और जिसे मार्क्स ने दरअसल एक नयी भाषा और रूप में प्रस्तुत किया। मनुष्यता की प्रतिष्ठा सारे शाश्वत चिंतनों का साध्य है। साधन हर युग और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। वाद हमेशा साधन केंद्रित होते हैं। उम्मीद है, यह चर्चा भी साध्य केंद्रित रहेगी।parag mandlehttps://www.blogger.com/profile/12317563216651225316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-91482870140273363702012-02-25T14:12:03.714+05:302012-02-25T14:12:03.714+05:30एक अच्छी जानकारी और सार्थक चर्चा की उम्मीद है। आपन...एक अच्छी जानकारी और सार्थक चर्चा की उम्मीद है। आपने ठीक कहा कि इस संपूर्ण चर्चा को अंधभक्ति के साथ और दूसरे सिरे पर अंधविरोध के साथ नहीं पढ़ा-समझा जाना चाहिए। दिक्कत सिर्फ वाद की है। दरअसल मनुष्यता सारी स्वस्थ चिंताओं और चिंतन के केंद्र में है। और यह चिंतन किसी एक व्यक्ति तक सीमित नहीं हो सकता। उम्मीद है, आप भी मार्क्स को केंद्र में रखने के स्थान पर मार्क्स की उन शाश्वत चिंताओं और चिंतन को केंद्र में रखेंगे, जो सनातन हैं और जिसे मार्क्स ने दरअसल एक नयी भाषा और रूप में प्रस्तुत किया। मनुष्यता की प्रतिष्ठा सारे शाश्वत चिंतनों का साध्य है। साधन हर युग और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। वाद हमेशा साधन केंद्रित होते हैं। उम्मीद है, यह चर्चा भी साध्य केंद्रित रहेगी।parag mandlehttps://www.blogger.com/profile/12317563216651225316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-79003879718413374162012-02-24T21:56:12.600+05:302012-02-24T21:56:12.600+05:30स्वागत इसका ....स्वागत इसका ....आशुतोष पार्थेश्वरhttps://www.blogger.com/profile/08831231551236237964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-81098106782873766292012-02-24T19:07:33.447+05:302012-02-24T19:07:33.447+05:30मित्र अशोक, शिव वर्मा की मार्क्सवाद परिचयमाला के ब...मित्र अशोक, शिव वर्मा की मार्क्सवाद परिचयमाला के बाद हमारे पास इस तरह के साहित्य का पीढ़ियों से अकाल पड़ा हुआ है. सरल शब्द-बंध, छोटे-छोटे वाक्यों के विन्यास, समकालीन जीवन्त उदाहरण और बोधगम्य प्रवाहमयी शैली की रचना-श्रृंखला की अपेक्षा है. काम भारी चुनौती का है. सबसे कम समझदार पाठक तक इस जटिल विज्ञान को संप्रेषित कर ले जाने पर अदभुत उपलब्धि होगी. जो भी हो सकेगा मुझसे साथ दूँगा. शुभकामना - गिरिजेशGIRIJESH TIWARIhttps://www.blogger.com/profile/12805715167998340624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-21570707936390212662012-02-24T18:13:08.927+05:302012-02-24T18:13:08.927+05:30logon ko samajh mein aane vali baten to hon lekin ...logon ko samajh mein aane vali baten to hon lekin sarlikaran bhi na ho. aisa karna chunautipurn hoga. maine aapki kitab nahin padhi, phir bhi apka sankalp aasha jagane wala hai. kuchh anuvad bhi chhap saken to kaisa ragega? mahatvpurna aalekhon aur pustakon ki jankari dena bhi shayad thik rahegavipinhttps://www.blogger.com/profile/14287138685876756901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-60885205435503993372012-02-24T18:12:27.808+05:302012-02-24T18:12:27.808+05:30logon ko samajh mein aane vali baten to hon lekin ...logon ko samajh mein aane vali baten to hon lekin sarlikaran bhi na ho. aisa karna chunautipurn hoga. maine aapki kitab nahin padhi, phir bhi apka sankalp aasha jagane wala hai. kuchh anuvad bhi chhap saken to kaisa ragega? mahatvpurna aalekhon aur pustakon ki jankari dena bhi shayad thik rahegavipinhttps://www.blogger.com/profile/14287138685876756901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-26889724623099067782012-02-24T15:16:53.280+05:302012-02-24T15:16:53.280+05:30यही हमारा मुख्य व्यवसाय होना चाहिए ! मार्क्सवाद पर...यही हमारा मुख्य व्यवसाय होना चाहिए ! मार्क्सवाद पर निरंतर चर्चा और बहस खून की ताजगी के लिए बेहद ज़रूरी है ! इस सार्थक शुरूआत में सभी साथियों का स्वागत है !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-3199982752947460292012-02-24T15:01:11.312+05:302012-02-24T15:01:11.312+05:30स्वागत और शुभकामनायें आपके इस प्रयास के लिए. हम प्...स्वागत और शुभकामनायें आपके इस प्रयास के लिए. हम प्रतीक्षारत पढ़ने वालों में हैं.समीर यादवhttps://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-2045289463604608862012-02-24T09:20:24.869+05:302012-02-24T09:20:24.869+05:30आपकी चिंता बिलकुल जायज है.
हालांकि मैंने जो मार्क...आपकी चिंता बिलकुल जायज है.<br /><br />हालांकि मैंने जो मार्क्सवाद पढ़ा-जाना है वह असहमतियों से गति पाता है. वह बहस में यकीन रखता है और तर्क में. लेकिन यह ज़रूर हुआ है कि उसके कुछ अनुयाइयों ने उसकी इस मूल प्रवृति को कुठाराघात पहुंचाया है. आज मेरे लिए मार्क्सवाद का अर्थ है "शान्ति, समृद्धि और समाजवाद" की गारंटी देने वाली विचारधारा जिसमें पूंजीवादी लोकतंत्र के सबसे बड़े बाधक असमानता के लिए जगह न हो. <br /><br />हाँ इस्लाम वाली तोहमत हर धर्म पर लगाई जा सकती है. क्रिश्च्यनिज्म तो "व्हाईट मेंस बर्डेन" के बोझ से आज तक दबा हुआ है. हिन्दूओं में विधर्मियों के लिए जो "स्नेह" है वह भी कोई छुपा नहीं. असल में जब भी आप किसी अन्य विचार को सहन करने की क्षमता खो देते हैं यह कठमुल्ला/कठपंडित वाद हावी होने लगता है.<br /> <br />इस बहस में आपका स्वागतAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-12912842471810487792012-02-24T08:22:56.004+05:302012-02-24T08:22:56.004+05:30मार्क्सवाद में कुछ चीजें अच्छी हैं और उनसे असहमत ह...मार्क्सवाद में कुछ चीजें अच्छी हैं और उनसे असहमत हो पाना कठिन है ....मेरे विचार से मार्क्सवाद और इस्लाम दोनों इस मामले में बिलकुल सामान हैं कि दोनों ने दुनिया को दो बिलकुल तीक्ष्ण-विभाजित हिस्सों 'बिलीवर्स' और 'नॉन-बिलीवर्स'(काफ़िर) में बाँट कर रख दिया है ...दोनों में असहमतियों की तकरीबन कोई गुंजाईश नहीं ..और दोनों को सबसे बड़ा खतरा अपने धर्मांध कट्टर अनुयाइयों (कठमुल्लों )से ही दरपेश हैसंतोष कुमार चौबेhttps://www.blogger.com/profile/14678422623297138411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-59213858370071910282012-02-24T08:16:32.212+05:302012-02-24T08:16:32.212+05:30मार्क्सवाद की कुछ चीजें अच्छी हैं ..और उनसे असहमत ...मार्क्सवाद की कुछ चीजें अच्छी हैं ..और उनसे असहमत हो पाना कठिन है ..मार्क्सवाद और इस्लाम इस मामले में बिलकुल समान हैं कि इन् दोनों ने ही दुनिया को २ बिलकुल तीक्ष्ण -विभाजित हिस्सों 'बिलीवर्स' और 'नॉन-बिलीवर्स'(काफ़िर) में बाँट दिया है ..दोनों में असहमतियों के लिए कोई स्पेस नहीं ...और दोनों को सबसे ज्यादा खतरा अपने कट्टर अनुयायियों (कठमुल्लों) से ही है ...संतोष कुमार चौबेhttps://www.blogger.com/profile/14678422623297138411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-90896038406998078932012-02-23T12:44:28.971+05:302012-02-23T12:44:28.971+05:30छोटी छोटी बातों पर सहज विमर्श करती हुई एक पुस्तिका...छोटी छोटी बातों पर सहज विमर्श करती हुई एक पुस्तिका काफी पहले कथाकार रमेश उपाध्याय ने 'कम्युनिस्ट नैतिकता' शीर्षक से लिखी थी जिसे नन्द भारद्वाज जी ने प्रकाशित किया था। इस प्रसंग में उस पुस्तिका का संदर्भ भी लिया जा सकता है।कुमार अम्बुजhttps://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-20760748310526183882012-02-23T12:44:03.470+05:302012-02-23T12:44:03.470+05:30छोटी छोटी बातों पर सहज विमर्श करती हुई एक पुस्तिका...छोटी छोटी बातों पर सहज विमर्श करती हुई एक पुस्तिका काफी पहले कथाकार रमेश उपाध्याय ने 'कम्युनिस्ट नैतिकता' शीर्षक से लिखी थी जिसे नन्द भारद्वाज जी ने प्रकाशित किया था। इस प्रसंग में उस पुस्तिका का संदर्भ भी लिया जा सकता है।कुमार अम्बुजhttps://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-8371971565451585222012-02-22T22:30:40.584+05:302012-02-22T22:30:40.584+05:30जरूरी पहल ...जरूरी पहल ...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03364341393175099098noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-38344423829942313772012-02-22T22:17:08.687+05:302012-02-22T22:17:08.687+05:30अच्छी बात है...मजा आयेगा !अच्छी बात है...मजा आयेगा !Hitzhttps://www.blogger.com/profile/13450426444438359233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-89189758320797432942012-02-22T21:59:37.851+05:302012-02-22T21:59:37.851+05:30इस महत्वपूर्ण कार्य का स्वागत है।इस महत्वपूर्ण कार्य का स्वागत है।प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-58697166794319860672012-02-22T20:00:14.366+05:302012-02-22T20:00:14.366+05:30निसन्देह,यह एक अच्छा अनुभव और अवसर होगा मेरे लिए ,...निसन्देह,यह एक अच्छा अनुभव और अवसर होगा मेरे लिए ,मैंने फैसल साहब से एक बार मार्क्सवाद पर पूरी जानकारी हिन्दी में चाही थी, अब यह पोस्ट मेरी उत्सुकता और जिज्ञासा को शांत करेगी ऐसा मुझे विश्वास है ...बधाई एवं शुभकामनाएं !!!Ashish Pandey "Raj"https://www.blogger.com/profile/12211524707558022934noreply@blogger.com