tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post8562283610470385009..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: आत्मलीनता के खिलाफAshok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-44798968339938634722010-04-12T15:55:59.397+05:302010-04-12T15:55:59.397+05:30बाज़ार वाद इन्फेक्शियस है .पर इसके बाहर का रंग रो...बाज़ार वाद इन्फेक्शियस है .पर इसके बाहर का रंग रोगन इतना खूबसूरत है के इलुज़न देता है ...कमाल की बात है के सारे वाद इसमें एब्ज़ोर्ब हो रहे हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-65356608528132564642010-04-12T11:59:54.877+05:302010-04-12T11:59:54.877+05:30मेरे ख्याल से "श्रम ही सारी संपदा का स्रोत है...मेरे ख्याल से "श्रम ही सारी संपदा का स्रोत है" यह बात लॉक के उस सिद्धान्त से निकलती है, जहाँ वे श्रम को भी विनिमेय मान लेते हैं. अर्थात् कोई भी अपने श्रम को बेचकर संपत्ति का अर्जन कर सकता है. पूंजीवाद की नींव सही मायनों में इसी सिद्धान्त से पड़ी है कि श्रम को बेचा-खरीदा जा सकता है. पूंजीपति एक निश्चित मूल्य चुकाकर श्रमिकों का श्रम खरीद लेता है. बिकने के बाद श्रम उद्योगपति का हो जाता है, श्रमिक का नहीं रहता है. यही पूंजीवाद का मूल आधार है. तो ये क्लासिकल अर्थशास्त्र की प्रतिस्थापना है, जिसका मार्क्स ने विरोध किया.<br />पूंजीवाद की एक बहुत बड़ी चालाकी या कहे कि खूबी ये है कि ये अपने आप को बदलती परिस्थितियों के अनुसार बदल लेता है. इसका वही कारण है जो इस लेख में बताया गया है--"पूंजीवाद कभी किसी ‘बंद, आत्मकेंद्रित प्रणाली के रूप में न कभी अस्तित्व में रहा है और न रह सकेगा’।" मेरा ये कहना है कि ये पूंजीवाद की कमी नहीं, इसकी खूबी है कि ये एक खुली और बहिर्गामी प्रणाली है. जो ये बात कही गई है-"पूंजीवाद अपने इन संकटों से उबरने के लिये उत्पादक शक्तियों के एक बड़े भाग को जबर्दस्ती नष्ट करता है और नये–नये बाजारों को अपने में समाविष्ट करता है।" तो ये काम पूंजीवाद बड़ी चालाकी से अपने लचीलेपन से करता है.लचीलापन ही इसे टूटने नहीं देता. <br />इसकी काट ढूँढ़ने के लिये इस बात पर गौर करना बहुत ज़रूरी है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.com