tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post8594142506599125394..comments2023-10-26T15:24:46.256+05:30Comments on जनपक्ष: चन्द्रकांत देवताले का काव्य संसार : परिधि का ठाठ और हाशिए का उल्लासAshok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-31181062490606679732012-01-17T01:11:29.642+05:302012-01-17T01:11:29.642+05:30देवताले जी की कविता अवगत कराया,शुक्रिया.
vikram7...देवताले जी की कविता अवगत कराया,शुक्रिया.<br /><br /><br /><a href="http://vikram7-vikram7.blogspot.com/2012/01/blog-post_16.html#links" rel="nofollow">vikram7: महाशून्य से व्याह रचायें......</a>vikram7https://www.blogger.com/profile/06934659997126288946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-61545543086910618232012-01-16T11:08:55.943+05:302012-01-16T11:08:55.943+05:30लेख ने बहुत प्रभावित किया है.धन्यवाद और बधाई भी.लेख ने बहुत प्रभावित किया है.धन्यवाद और बधाई भी.Brajesh kanungohttps://www.blogger.com/profile/10178349076541221006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-60607146227858246252012-01-16T08:43:23.710+05:302012-01-16T08:43:23.710+05:30बहुत ही मेहनत और लगन से तैयार किया गया आलेख। यह आल...बहुत ही मेहनत और लगन से तैयार किया गया आलेख। यह आलेख आदरणीय देवताले की कविताओं को समझने-समझाने के नए कोणों की पड़ताल करता है। एक बेहद महत्वपूर्ण आलेख के लिए आपको बहुत-बदुत बधाई....विमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-33509638567860241752012-01-13T10:42:55.292+05:302012-01-13T10:42:55.292+05:30"बीन बीन चिनगियाँ जो पोसता था
छिपा कर उ..."बीन बीन चिनगियाँ जो पोसता था <br />छिपा कर उम्रदराज़ पेड़ों की कोटरों में <br />कि चलनी ही है आँधी एक दिन<br />और दहक उठना है <br />उसके सपनों में उगा पूरा जंगल।"<br /><br />देव ताले जी पर बहुत मन से लिखा है आप ने. इस आलेख के बरक्स फिर से उन की कविताएं पढ़ूँगा. शुक्रिया ! भाई .अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-77144520796472539662012-01-12T22:39:06.764+05:302012-01-12T22:39:06.764+05:30आपने देवताले जी की कविता के विविध रंगों से हमें अव...आपने देवताले जी की कविता के विविध रंगों से हमें अवगत कराया ...आभार ...वे मेरे भी प्रिय कवियों में से एक है....नयी सदी के आगमन में उठे शोर के बीच उन्होंने जो कविता लिखी थी , उसके बाद तो उन्हें खोजकर पढ़ने का सिलसिला ही चालू हो गया ...कविता थी--"सिर्फ तारीखे नहीं बदला करती समय "..."एक के आगे दो या तीन शुन्य लगाकर बेचा जा सकता है / एक चमकदार धोखा / और एक दिन / जब न्याय मांगने वाले /खोजते हुए इंधन / और पा जायेंगे डाईनामाईट/उसी दिन तय होगा कि/ यह कैसी नयी सदी है /और किनकी नयी सदी/"रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-22596310497541513352012-01-12T06:30:56.293+05:302012-01-12T06:30:56.293+05:30यह आलेख देवताले जैसे बेहद महत्वपूर्ण कवि के प्रति ...यह आलेख देवताले जैसे बेहद महत्वपूर्ण कवि के प्रति आलोचना की बेहिसी को झकझोरने में कामयाब है. विश्लेषण से जहां तहां मतभेद संभव हैं , लेकिन इस कार्य में झलकती हुयी लगन और मेहनत को अनदेखा नहीं किया जा सकता.आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-40611656817556613492012-01-11T15:23:21.272+05:302012-01-11T15:23:21.272+05:30उज्जैन के चित्र देखकर मजा आ गया सारी यादें ताजा हो...उज्जैन के चित्र देखकर मजा आ गया सारी यादें ताजा हो गयी...............Sandip Naikhttps://www.blogger.com/profile/12290615598026484269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5809823261305391825.post-28379421000756724452012-01-11T15:22:34.917+05:302012-01-11T15:22:34.917+05:30अशोक भाए ये जो चित्र है उज्जैन के है अरे मजा आ गया...अशोक भाए ये जो चित्र है उज्जैन के है अरे मजा आ गया ...................देख कर..........Sandip Naikhttps://www.blogger.com/profile/12290615598026484269noreply@blogger.com