रविवार, 26 सितंबर 2010

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले…


27 सितंबर को शहीदे आज़म भगत सिंह का जन्मदिन है…भारतीय मुक्ति आंदोलन के सबसे आधुनिक और क्रांतिकारी मानस और भारतीय युवा की क्रांतिकारी चेतना के प्रतीक भगत सिंह को जनपक्ष का लाल सलाम…यहां प्रस्तुत है उनके आलेख का एक हिस्सा जो इंक़लाब की ज़रूरत को रेखांकित करता है


जब गतिरोध की स्थिति लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती है तो किसी भी प्रकार की तब्दीली से वे हिचकिचाते हैं । इस जड़ता और नि्ष्क्रियता को तोड़ने के लिए एक क्रान्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की जरूरत होती है , अन्यथा पतन और बरबादी का वातावरण छा जाता है । लोगों को गुमराह करनेवाली प्रतिक्रियावादी शक्तियाँ जनता को गलत रास्ते पर ले जाने में सफल हो जाती हैं । इससे इंसान की प्रगति रुक जाती है और उसमें गतिरोध आ जाता है । इस परिस्थिति को बदलने के लिए यह जरूरी है कि क्रान्ति की स्पिरिट ताजा की जाय , ताकि इंसानियत की रूह में हरकत पैदा हो ।
… इंक़लाब तौरे ज़िंदगी है।

भगत सिंह पर एक कविता यहां

3 टिप्‍पणियां:

  1. राष्ट्र के महा नायक'' भगत सिंह '' के जन्म दिन पे शत शत नमन !

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  2. मुझे लगता है कि ये समय भी कुछ-कुछ ऐसा ही है. सब कुछ रुका हुआ सा है. देश को कोई भगत सिंह चाहिए... नहीं शायद हमें ही अपना-अपना भगत सिंह खुद बनना होगा.

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