जनपक्ष
जनपक्षधर चेतना का सामूहिक मंच
मंगलवार, 12 मई 2020
प्रिय पूंजीवाद, मार्क्स अभी अप्रासंगिक नहीं हुये है
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पुरुषोत्तम अग्रवाल अनुवाद : तरुण भारद्वाज मार्क्स यदि जीवित होते तो 5 मई 2018 को 202 वर्ष के हो गए होते। तो क्या? क्या मार्क्...
रविवार, 1 दिसंबर 2019
बलात्कार को अपनी राजनीति के खाँचे में न सेट करें - शुभा
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हैदराबाद की हालिया घटना के सन्दर्भ में जो प्रतिक्रिया सामने आई हैं वह बहुत विडम्बनामय और कहीं-कहीं जुगुप्सा पैदा करने वाली हैं.कुछ अ...
गुरुवार, 23 अगस्त 2018
कुलदीप नैयर - एक क़द का उठ जाना
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तस्वीर द हिन्दू से साभार ● ओम थानवी कुलदीप नैयर का जाना पत्रकारिता में सन्नाटे की ख़बर है। छापे की दुनिया में वे सदा मुखर आवाज़...
गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018
ब्रह्मराक्षस : ऑर्गेनिक बुद्धिजीवी की तलाश
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अशोक कुमार पाण्डेय मुक्तिबोध की कविताओं को पढ़ते हुए लगातार यह लगता है जैसे सिर्फ़ दो कविताओं को लिखने या पूरा करने के लिए वह लगातार...
1 टिप्पणी:
शुक्रवार, 12 जनवरी 2018
दूधनाथ सिंह : एक प्रतिबद्ध स्वर
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कुलदीप कुमार ने यह लेख आज द हिन्दू के अपने कॉलम "हिन्दी बेल्ट" लिए लिखा था...किसे पता था कि यह श्रद्धांजलि लेख में बदल जाएगा। ...
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