बुधवार, 5 जनवरी 2011

डॉ0 विनायक सेन की सजा के खिलाफ लखनऊ के लेखकों व संस्कृतिकर्मियों का विरोध प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ की निचली अदालत द्वारा विख्यात मानवाधिकारवादी व जनचिकित्सक डॉ0 विनायक सेन को दिये उम्रकैद की सजा के खिलाफ तथा उनकी रिहाई की माँग को लेकर जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से 2 जनवरी 2011 को लखनऊ के शहीद स्मारक पर विरोध प्रदर्शन व सभा का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से लखनऊ के लेखकों, संस्कृतिकर्मियों, नागरिक अधिकार व जन आंदोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने विनायक सेन की सजा पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह का फैसला हमारे बचे.खुचे जनतंत्र का गला घोटना है, यह नागरिक आजादी और लोकतंत्र पर हमला है। इसलिए विनायक सेन की रिहाई का आंदोलन लोकतंत्र को बचाने का संघर्ष है।


प्रदर्शनकारी लेखकों व कलाकारों के हाथों में प्ले कार्ड्स थे जिनमें सीखचों में बन्द विनायक सेन की तस्वारें थीं और उन पर लिखा था ‘कॉरपोरेट पूँजी का खेल, विनायक सेन को भेजे जेल’,विनायक सेन को रिहा करो’ आदि। इस अवसर पर जन कलाकार परिषद के कलाकारों ने शंकर शैलेन्द्र का गीत ‘भगत सिंह इस बार न लेना काया भारतवासी की, देशभ्क्ति के लिए आज भी सजा मिलेगी फाँसी की’ और दुष्यन्त की गजल ‘हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए’ गाकर अपना विरोध जताया।

जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से माँग की गई कि डा0 विनायक सेन को रिहा किया जाय, आपरेशन ग्रीनहंट व सलवा जुडुम को बन्द किया जाय, छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा कानून और इसी तरह के अन्य जन विरोधी कानूनों को खत्म किया जाय और इन्हीं कानूनों के तहत उम्रकैद की सजा पाये नारायण सन्याल और पीयूष गुहा को रिहा किया जाय।

इस विरोध प्रदर्शन में जनवादी लेखक संघ, एपवा, पी यू सी एल, इंकलाबी नौजवान सभा, अलग दुनिया, आइसा, दिशा, अमुक आर्टिस्ट ग्रुप, आवाज आदि के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर हुई विरोध सभा को रामजी राय, अजय सिंह, शिवमूर्ति, ताहिरा हसन, गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव, रमेश दीक्षित, सुभाष चन्द्र कुशवाहा, राजेश कुमार, के0 के0 पाण्डेय, भगवान स्वरूप कटियार, चन्द्रेश्वर, वंदना मिश्र, के0 के0 वत्स, कल्पना पाण्डेय, बी0 एन0 गौड़, सुरेश पंजम, आदियोग, बालमुकुन्द धूरिया, अनिल मिश्र ‘गुरूजी’, विमला किशोर, जानकी प्रसाद गौड़, के0 के0 शुक्ला, महेश आदि ने सम्बोधित किया। सभा का संचालन जसम के संयोजक कौशल किशोर ने किया

वक्ताओं ने कहा कि जिन कानूनों के आधार पर विनायक सेन को सजा दी गई है, वे कानून ही कानून की बुनियाद के खिलाफ हैं। इनमें कई कानून अंग्रेजों के बनाये हैं जिनका उद्देश्य ही आजादी के आंदोलन को कुचलना था। आज उन्हीं कानूनों तथा छŸाीसगढ़ में लागू दमनकारी कानूनों का सहारा लेकर विनायक सेन पर राजद्रोह व राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश का आरोप लगाया गया है और इसके आधार पर उन्हें सजा दी गई है। गौरतलब है कि अपने आरोपों के पक्ष में पुलिस द्वारा जो साक्ष्य पेश किये गये, वे गढ़े हुए थे और अपने आरोपों को सिद्ध कर पाने वह असफल रही है। अगर इन आरोपों को आधार बना दिया जाय तो लोकतांत्रिक विरोध की हर आवाज पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जा सकता है।

वक्ताओं ने इस बात पर गहरी चिन्ता व्यक्त की कि न्यायालयों के फैसले भी राजनीतिक होने लगे हैं। भोपाल गैस काँड और अयोध्या के सम्बन्ध में आये कोर्ट के फैसले ने न्यायपालिका के चेहरे का पर्दाफाश कर दिया है। विनायक सेन के सम्बन्ध में आया फैसला नजीर बन सकता है जिसके आधार पर विरोध की आवाज को दबाया जायेगा। अरुंघती राय पर भी इसी तरह की धारायें लगाकर मंकदमा दर्ज किया गया है। इस प्रदेश में भी सामाजिक कार्यकर्ता सीमा आजाद को एक साल से जेल में बन्द रखा गया है।

वक्ताओं का कहना था कि जब भ्रष्टाचारी, घोटालेबाज, माफिया व अपराधी सरकार को सुशोभित कर रहे हों वहाँ आदिवासियों, जनजातियों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने तथा सलवा जुडुम से लेकर सरकार के जनविरोधी कार्यों का विरोध करने वाले डॉ सेन पर दमनकारी कानून का सहारा लेकर आजीवन कारावास की सजा देने का एक मात्र मकसद जनता के प्रतिरोध की आवाज को कुचल देना है। इसीलिए आज विनायक सेन प्रतिरोध की संस्कृति और इंसाफ व लोकतंत्र की लड़ाई के प्रतीक बन गये हैं।

जसम के इस प्रदर्शन के माध्यम से यह घोषणा भी की गई कि डा0 विनायक सेन की रिहाई के लिए विभिन्न संगठनो को लेकर रिहाई समिति बनाई जायेगी तथा यह समिति विविध आंदोलनात्क कार्यक्रमों के द्वारा जनमत तैयार करेगी।
- कौशल किशोर

3 टिप्‍पणियां:

  1. तीस बरस पहले आंदोलनरत कारखाना मजदूरों पर जब बेवजह मुकदमे बना दिए जाते थे तो वे अदालत में नारा लगाते थे। पूंजीवादी न्यायव्यवस्था! मुर्दाबाद!
    न जाने क्यों आज कल यह नारा बहुत कम सुनने को मिलता है।

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  2. loktantr ka majak udna ab to band hona hi chahiye .gahan bhavon seyukt aalekh bahut kuchh sochne par majboor karta hai.

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