मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

लोकपाल और दूध में मछलियाँ!

(तरुण गुहा नियोगी द्वारा  भेजी हुई यह कहानी मौजूदा समय में चल रही बहस में एक रोचक परन्तु गंभीर हस्तक्षेप   करती है )


एक समय की बात है. एक बड़े देश में एक शासक हुआ करता था. बड़ा ही सहृदय और संवेदनशील शासक. राज्य के नागरिकों की समस्याओं पर पहल करनेवाला हज़ारों में एक. उसने लोगों की तम्बाकू और शराब की गंदी आदत छुड़ाई. नदी के पानी को रोका. जाने कितने जतन प्रजाहित में किए.   एक दिन उसके ध्यान में आया कि उसके राज्य में दूध में पानी मिलाया जा रहा है. उसने तहकीकात की और नगर सीमा में आने वाले दूध की जाँच के लिए एक द्वारपाल की नियुक्ति की. दूध में पानी की मात्रा बढ़ गई. अब द्वारपाल पर नज़र रखने के लिए एक नगरपाल की नियुक्ति की. लेकिन दूध में पानी की की मात्रा और ज़्यादा हो गई. क्या किया जाए?! नगरपाल पर खबरदारी के लिए जनपाल की नियुक्ति की गई.  

 ऎसे कई-कई पाल नियुक्त होते गये. अंततः दूध में मछलियाँ मिलने लगी.

6 टिप्‍पणियां:

  1. अशोकजी, इस मुद्दे पर चल रही गरिष्ठ बहस में इस कहानीदार मोड़ को चस्पा करना अच्छा है।

    मगर तरुणजी, एक से काम नहीं चलेगा। चार-पांच तो बरसाइए।

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  2. "Daas Bananna Kathin Hai
    Mai Dasan Ka Daas
    Ab To Aisa Hoye Rahu
    Paav Tale Ki Ghaas". : kabir
    (It is difficult to serve others. I am serving those who are serving others. Now I long to become like a grass under the feet of people.)

    Log apna aur apne ghar ki hi seva me lage huye hain. Jab tak logon ki andar sachhi seva bhavna aur nischhal prem nahi aayega tab tak ye corruption chalta rahega.

    "Kabira khada bazar mein liye lukathi haath jo baare hai ghar apna woh chale hamare saath".

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  3. kissa-kahani ya sahitya ki kisi bhi vidha ki samaj nirman me kya bhumika ho sakti he, yah tarunji ki is kahani se samjha ja sakta he. char line me sirf itni si baat kahi ja sakti thi. wahas ka vishya he, lokpal ya dusre pal niyukt karna pareshani ka sabab haiN to fir vikalp kya he.

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  4. namaskaar !
    phir samay iasia aayega ki sudh paani me dushuit paani milayaa jaaeyega . dosh kise de . ek imaamdaar se jag bhlaa nahi ho saktaa .
    sadhuwad !

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  5. मैं एक इंजीनियरिंग का छात्र हूँ, मैंने अपने कॉलेज में इस विषय पर हुई एक चर्चा में भाग लिया. वहाँ भी ये प्रश्न उठा -Who will guard the guards?
    यही प्रश्न आज भी खड़ा है, इस्सका उत्तर देना हमारे या आपके बस की बात नहीं है. फिर भी हम उम्मीद करते हैं कि जन-लोकपाल बिल अगर पास होता है तो इसमें से कुछ अच्छा निकल के आएगा.

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