हम हिन्दी के लेखक देश के प्रमुख विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 9 फरवरी को हुई घटना के बाद से जारी पुलिसिया दमन पर पर गहरा क्षोभ प्रकट करते हैं। दुनिया भर के विश्वविद्यालय खुले डेमोक्रेटिक स्पेस रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय सीमाओं के पार सहमतियाँ और असहमतियाँ खुल कर रखी जाती रही हैं और बहसें होती रही हैं। यहाँ हम औपनिवेशिक शासन के दिनों में ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में भारत की आज़ादी के लिए चलाये गए भारतीय और स्थानीय छात्रों के अभियानों को याद कर सकते हैं, वियतनाम युद्ध के समय अमेरिकी संस्थानों में अमेरिका के विरोध को याद कर सकते हैं और इराक युद्ध मे योरप और अमेरिका के नागरिकों और छात्रों के विरोधों को भी। सत्ता संस्थानों से असहमतियाँ देशद्रोह नहीं होतीं। हमारे देश का देशद्रोह क़ानून भी औपनिवेशिक शासन में अंग्रेज़ों द्वारा अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को दबाने के लिए बनाया गया था जिसकी एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक समाज में कोई आवश्यकता नहीं। असहमतियों का दमन लोकतन्त्र नहीं फ़ासीवाद का लक्षण है।
इस घटना में कथित रूप से लगाए गए कुछ नारे निश्चित रूप से आपत्तिजनक हैं। भारत के टुकड़े करने या बरबादी की कोई भी ख़्वाहिश स्वागतेय नहीं हो सकती। हम ऐसे नारों की निंदा करते हैं। साथ में यह भी मांग करते हैं कि इन विडियोज की प्रमाणिकता की निष्पक्ष जांच कराई जाए। लेकिन इनकी आड़ में जे एन यू को बंद करने की मांग, वहाँ पुलिसिया कार्यवाही और वहाँ के छात्रसंघ अध्यक्ष की गिरफ्तारी कतई उचित नहीं है। जैसा कि प्रख्यात न्यायविद सोली सोराबजी ने कहा है नारेबाजी को देशद्रोह नहीं कहा जा सकता। यह घटना जिस कैंपस में हुई उसके पास इससे निपटने और उचित कार्यवाही करने के लिए अपना मैकेनिज़्म है और उस पर भरोसा किया जाना चाहिए था।
हाल के दिनों में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में ख्यात कवि और विचारक बद्रीनारायण पर हमला, सीपीएम के कार्यालयों पर हमला, दिल्ली के पटियाला कोर्ट में कार्यवाही के दौरान एक भाजपा विधायक सहित कुछ वकीलों का छात्रों, शिक्षकों और पत्रकारों पर हमला बताता है कि देशभक्ति के नाम पर किस तरह देश के क़ानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इन सबकी पहचानें साफ होने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न किया जाना इसे सरकारी संरक्षण मिलने की ओर स्पष्ट इशारा करता है। असल में यह लोकतन्त्र पर फासीवाद के हावी होते जाने का स्पष्ट संकेत है। गृहमंत्री का एक फर्जी ट्वीट के आधार पर दिया गया गंभीर बयान बताता है कि सत्ता तंत्र किस तरह पूरे मामले को अगंभीरता से ले रहा है। ऐसे में हम सरकार से मांग करते हैं कि देश में लोकतान्त्रिक स्पेसों को बचाने, अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की रक्षा और गुंडा ताकतों के नियंत्रण के लिए गंभीर कदम उठाए। जे एन यू छात्रसंघ अध्यक्ष को फौरन रिहा करे, आयोजकों का विच हंट बंद करे, वहाँ से पुलिस हटाकर जांच जेएनयू के प्रशासन को सौंपें तथा पटियाला कोर्ट में गुंडागर्दी करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दें।
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हस्ताक्षर
मंगलेश डबराल
राजेश जोशी
ज्ञान रंजन
पुरुषोत्तम अग्रवाल
उदय प्रकाश
अरुण कमल
पंकज बिष्ट
रमेश उपाध्याय
मैत्रेयी पुष्पा
जगदीश्वर चतुर्वेदी
अलका सरावगी
रोहिणी अग्रवाल
असद ज़ैदी
उज्जवल भट्टाचार्य (जर्मनी)
राजेन्द्र शर्मा
मोहन श्रोत्रिय
ओम थानवी
सुभाष गाताडे
अरुण माहेश्वरी
नरेंद्र गौड़
बटरोही
अनिल जनविजय (रूस)
कुलदीप कुमार
सुधा अरोड़ा
सुमन केशरी
नन्द भारद्वाज
ईश मिश्र
लाल्टू
कुमार अम्बुज
विनोद दास
शमसुल इस्लाम
सुधीर सुमन
ऋषिकेष सुलभ
विनोद दास
राजकुमार राकेश
हरिओम राजोरिया
अनिल मिश्र
नंदकिशोर नीलम
अरुण कुमार श्रीवास्तव
मधु कांकरिया
सरला माहेश्वरी
वंदना राग
मुसाफिर बैठा
अरविन्द चतुर्वेद
प्रमोद रंजन
हिमांशु पांड्या
वैभव सिंह
मनोज पाण्डेय
पंकज चतुर्वेदी
पवन करण
महेश पुनेठा
प्रज्ञा
शिरीष कुमार मौर्य
अशोक कुमार पाण्डेय
वर्षा सिंह
विशाल श्रीवास्तव
उमा शंकर चौधरी
चन्दन पाण्डेय
असंग घोष
विजय गौड़
अरुणाभ सौरभ
विमलेश त्रिपाठी
देवयानी भारद्वाज
पंकज श्रीवास्तव
कविता
दिनेश कर्नाटक
संज्ञा उपाध्याय
सुयश सुप्रभ
गोपाल राठी
दिनेश राय द्विवेदी
सुजाता
शेखर मल्लिक
हरप्रीत कौर
अनुप्रिया
राकेश पाठक
संजय जोठे
रामजी तिवारी
कृष्णकांत
मनोज पटेल
देश निर्मोही
दीप सांखला
अमलेंदु उपाध्याय
प्रमोद धारीवाल
अनिल कार्की
देवेन्द्र कुमार आर्य
प्रमोद कुमार तिवारी
अरविंद सुरवाड़े (मराठी)
आलोक जोशी
रोहित कौशिक
मनोज छबड़ा
अमिताभ श्रीवात्सव
ऋतु मिश्रा
कनक तिवारी
ईश्वर चंद्र
नित्यानन्द गाएन
शशिकला राय
पंकज मिश्रा
कपिल शर्मा (सांगवारी)
विभास कुमार श्रीवास्तव
मेहरबान सिंह पटेल
सुशील स्वतंत्र
अनिल जैन
ऋतुपर्ण मुद्राराक्षस
इन्द्र मणि उपाध्याय
आनंद पाण्डेय
विभाष कुमार श्रीवास्तव
हिमांशु कुमार
सीमा आज़ाद
पुनीत मैनी
प्रियम्वदा समर्पण
अभिषेक गोस्वामी
अंजुले एलुजना
देवांशु वत्स
सारंग उपाध्याय
अकरम हुसैन कादरी
एम एल राठौर
अरुण चवाई
ईश मधु तलवार
यतीन्द्र नाथ सिंह
विवेक दत्त मथूरिया
रजनीश साहिल
निशांत यादव
फैसल अनुराग
नवीन रमण
नीतीश ओझा
दुर्गेश कुमार मल्ल
जयंत श्रीवास्तव
राजकुमार त्रिपाठी
प्रेरणा प्रथम सिंह
मनोज पटेल
सुमंत पाण्ड्या
रुचि भल्ला
प्रशांत प्रियदर्शी
अनूप शुक्ल
जिया उर रहमान
लोकमित्र गौतम
दीप सांखला
डा अजित
रूपाली सिन्हा
अमलेंदु उपाध्याय
नवनीत
अनंत भटनागर
चन्द्रकला पाण्डेय
डा कान्ति शिखा
आशालता श्रीवास्तव
तनवीर
अमृता नीरव
अतुल अरोरा
हरपाल सिंह आरुष
आलोक जोशी
रोहित कौशिक
चंचल बी एच यू
विजय शंकर सिंह
राहुल हुड्डा
उषा बंगा
अभिषेक पाल
अरविंद कुमार खेड़े
प्रतिमा जोशी
मुकेश तिवारी
जे सी पाठक
प्राणेश कुमार
ईश्वर चंद्र
कनक तिवारी
नीरज सिंह
विजय तैलंग
शशि शर्मा
नवेन्दु सिंह
कमलेश वर्मा
शिप्रा शुक्ला
शशिकला राय
मुकेश मधुकर
राजेश कुमार पाण्डेय
बिजय पाण्डेय
मनोज कुमार पाण्डेय
इकबाल मसूद
अजय राय
चंद्रपाल सिंह
दुर्गेश पाण्डेय
विजय कुमार सिंह
राम मोहन त्रिपाठी
गोविंद माथुर
सुरेश कांटक
अटल तिवारी
अवनीश गौतम
हनीफ मदार
पंकज बर्नवाल
कविता पाण्डेय
शालिनी सुभाष त्रिपाठी
अग्नि शेखर
विजय भट्ट
नेहा नरुका
अनूप सेठी
गजेन्द्र वर्मा
शमीम अहमद
अरुण प्रकाश मिश्र
महेंद्र नेह
उमाकांत चौबे
रिशपाल सिंह विकल
रेखा श्रीवास्तव
राजेश कुमार मिश्र
प्रज्ञा जोशी
अभिषेक अंशु
मुनेश त्यागी
किरण त्रिपाठी
रवि कुमार
आशुतोष सिंह
डा कान्ति शिखा
मानिता सरोज
महेश कटारे सुगम
मैं भी लोकतंत्र में फासीवाद का विरोधी हूँ , सहमति की इच्छा रखता हूँ किन्तु उपरोक्त स्टेटमेंट में सिर्फ सीपीएम कार्यालयों पर हमले का जिक्र है, मेरी समझ कहती है हिंसा हर तरह की बुरी होती है, यदि हिंदी के लेखक गण निष्पक्ष रूप से फासीवाद के विरोधी है तो ढेर सारी लिखी घटनाओ के साथ नीचे लिखी तथाकथित सीपीम कार्यकर्ताओ द्वारा ,
जवाब देंहटाएं"केरल: कन्नूर में बीजेपी ऑफिस में फेंके गए बम, एक दिन पहले हुई थी कार्यकर्ता की हत्या"
घटना की भर्त्सना व दोषियों को कड़े दंड को भी लेख में शामिल किया जाये , वरना यही प्रतीत होगा कि यह एकतरफा स्टेटमेंट है , जो फासीवाद के विरुद्ध कम राजनितिक रूप से दुराग्रही ज्यादा है i
साथ ही इस स्टेटमेंट में एक मांग है कि "आयोजकों का विच हंट बंद करे" इससे में सख्त असहमति जताता हूँ, जिस कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगे उनके आयोजको पर विधि सम्मत सख्त कारवाही होनी ही चाहिए I
यदि आप इसे शामिल करते है तो मेरी भी सहमति दर्ज की जाये I
http://aajtak.intoday.in/story/country-made-crude-bomb-hurled-at-bjp-office-in-talassery-kannur-one-day-after-bjp-rss-workers-murder-1-855129.html