शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

सलाम मीर वाइज़


हमलावर उन न की राह जोहते हैं. वे जहां पहुंचते हैं, वे मौजूद होते हैं. सड़े अंडे लिए . गाली गुफ्ता करते. हाथापाई पर आमादा. उन्हें थप्पड़ लगे हैं.उन के पुतले जलाए गए हैं. उन के खिलाफ देशद्रोह की रपट लिखाई गयी है .कठोरतम प्रावधानों वाले क़ानून लाये गए हैं.उन के साथ कुछ भी कभी भी हो सकता है . लेकिन अपने लोगों में मसीहा की तरह समादृत यह नौजवान धर्मगुरु न विरोधियों के अपमान से डरता है, न अपने ही लोगों की आलोचना से.

चंडीगढ़, दिल्ली , कलकत्ता .सब जगह एक ही कहानी दुहराई गयी है.लेकिन उस ने हार नहीं मानी है. अभी उसे कई शहरों में जाना है, पिटने, गालियाँ सुनने.



मीर वाइज़ वह कर रहे हैं , जो पहले किसी ने नहीं किया.वे भारत के आम नागरिक से संवाद कर रहे हैं. आप उन से असहमत हों, नफ़रत करते हों, उन की सूरत तक न देखना चाहते हों , लेकिन वे आप के पास आ रहे हैं. कहने - मुझे कत्ल करने के पहले मेरा चेहरा तो देख लो.



एक व्यस्त भारतीय नागरिक कितना क्या जानता है कश्मीर को . निरंतर बजता एक ही रिकार्ड, एक ही उन्मादी शोर, एक ही अनवरत फिल्म. अटूट अंग, अखंड भारत, सीमापार आतंकवाद, इस्लामी जिहाद, AK 47 , धर्मनिरपेक्षता..

उस ने किसी असली कश्मीरी को नहीं देखा . उस ने कश्मीर की असली सूरत नहीं देखी. ' कश्मीर मांगो भून देंगे ' का नारा सुना है, लेकिन न कश्मीर का इतिहास जानता , न भूगोल, न कल, न आज. उसे जानना चाहिए की कश्मीरी भी दो हात पावों वाले इंसान हैं..



मुलाक़ात होगी , बात होगी तो ही आगे बढ़ेगी बात. लाख मुखालिफ सही , लेकिन आमने सामने होंगे तो ज़्यादा समझ सकेंगे एक दूसरे को . यह यकीन न हो तो आज कोई ' अलगाववादी कश्मीरी ' क्यों बिन बुलाये जा पडेगा देशभक्त भारतीयों के बीच.



सरकारों , नेताओं, फौजियों के खेल से अलग जनसंवाद की यह पहली गंभीर कश्मीरी पहल युगांतर कर सकती है , अगर लोकतांत्रिक भारत के ' लोगों' का थोड़ा भी ध्यान इस और गया.सहमति, असहमति , बहस, विचारधारा, राजनीति , राज्यनीति -इन सब के दायरों को फलांग कर लोगों को लोगों से जोड़ने की कोशिश ..



सलाम मीर वाइज़, सलाम .

4 टिप्‍पणियां:

  1. ऎसे अदम्य साहस को बार बार सलाम!

    दुष्यंत कुमार याद आ रहे हैं-

    कौन कहता है आस्मां में सुराख हो नहीं सकता
    एक पत्थर तो तबीयत से उछा लो यारों!

    अब तो मज़हब कोई ऎसा भी चलाया जाए
    जिस में हर इंसान को, इंसा बनाया जाए

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  2. मियां जी जो लोग मीर वायस को थप्पड़ मार रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि कश्मीर से भगाए गए पंडित लोग हैं जो भारत के सभी शहरों में किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं और किसी को क्या पड़ी है कि वो अपना टाइम ऐसे लोगों के लिए ख़राब करें. पर आप तो पंडितों को कश्मीरी मानेगे नहीं वाम पंथी जो ठहरे... क्यों यही है वाम पंथ कि देश के दुश्मनों का साथ दो. हद हो गयी यार......

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  3. ... jab jakhm naasoor ban jaaye tab upchaar men saavdhaanee atyant aavashyak jaan padtee hai !!!

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