(1957 में न्यूयार्क के ब्रुकलिन में जन्में मार्टिन एस्पादा को ‘अपनी पीढ़ी का लातिनी कवि’ कहा जाता है. उनका काव्यकर्म लातिनी अमेरिका की उस प्रतिरोधी परम्परा का है जिसने अमेरिकी साम्राज्यवाद के ज़ुल्म और शोषण के खिलाफ़ लगातार आवाज़ बुलंद की है. प्रतिरोध उनकी कविता का मूल स्वर है. हाल ही में उनके द्वारा संपादित जनपक्षधर लातिनी कवियों का वृहद् संकलन ‘पोएट्री लाइक एंड ब्रेड’ वहाँ के प्रतिरोधी स्वर का एक ज़िंदा दस्तावेज़ है. यहाँ किसी भूमिका की जगह हम कोलम्बिया में कोका कोला के ज़ुल्म-ओ-सितम का तीखा प्रतिवाद करता हुआ उनका वह भाषण प्रस्तुत कर रहे हैं जो बताता है कि जनता का कवि किन मानदंडों पर अपनी नैतिक अवस्थिति तय करता है)
कोका कोला
पर वक्तव्य
(कैन्सस
विश्विद्यालय में मार्च 10, 2005 को)
आज रात
केन्सस विश्विद्यालय में मेरा कविता पाठ के यू एंडावमेंट असोसिएशन के ज़रिये कोका
कोला द्वारा सह प्रायोजित है. गंभीरता से इस मुद्दे पर सोचने के बाद मैंने फैसला
लिया है कि मैं कोलंबिया में श्रमिकों के सम्बन्ध में इसके इतिहास को देखते हुए
कोका कोला से पैसे स्वीकार नहीं कर सकता.
न्यू यार्क
टाइम्स के अनुसार दुनिया भर में जितने ट्रेड युनियन कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है
उनमें से नब्बे फीसदी कोलंबिया में मारे गए. पैरामिलिट्री बलों द्वारा निशाना
बनाकर उस देश में हज़ारों ट्रेड युनियन कार्यकर्ता मारे गए. कई हज़ार अन्य को
प्रताड़ित किया गया, अपहृत कर लिया गया या जान से मारने की धमकी दी गयी.
कोलंबिया
में राष्ट्रीय खाद्य श्रमिक युनियन का प्रतिनिधित्व कोका कोला बाटलिंग प्लांट में
सिनालत्रेनाल करती है. यह युनियन नष्ट कर दी गयी. न्यूयार्क सिटी काउंसिल के हिरम
मोंसरेट की अगुवाई में गयी फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने कोक प्लांट्स में आठ हत्याओं
सहित 179 बड़े मानव अधिकार उल्लंघन के मामले पाए. वस्तुतः यूनियन के नेता इसिडरो
गिल को कारेपा के प्लांट में ही गोली मार दी गयी थी. उसके बाद पैरामिलिट्री दल उसी
प्लांट में आये और यूनियन के सदस्यों को सामूहिक इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया.
यूनियन के नेताओं और अन्य लोगों ने यह आरोप लगाया कि कोलंबिया के कोक बाटलिंग
प्लांट्स और पैरामिलिट्री बलों में साठ गाँठ है
अन्यथा प्लांट्स में पैरामिलिट्री बलों का बिना मैनेजमेंट की मिलीभगत के
प्रवेश असंभव था.
कोका कोला
कंपनी को निश्चित रूप से ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की रक्षा करना चाहिए. कम्पनी
को प्लांट मैनेजमेंट और पैरामिलिट्रीज़ के बीच साठ गाँठ की जाँच करानी ही चाहिए.
कम्पनी को निश्चित रूप से कोलंबिया के श्रमिकों के साथ मानवाधिकार उल्लंघन के
मामलों की स्वतंत्र जांच में सहयोग करना चाहिए. इन आरोपों की प्रतिक्रिया में तुरत
फुरत तिरस्कारपूर्ण क्रोध वाली प्रतिक्रिया देने की जगह कंपनी को इसकी ज़िम्मेदारी
लेनी ही चाहिए. जब मुद्दा दूसरों की विपदा से मुनाफ़ा कमाने का हो तो तुरत फुरत
तिरस्कारपूर्ण क्रोध वाली प्रतिक्रिया काफ़ी नहीं है.
जब तक
कोलंबिया में श्रमिकों के सम्बन्ध में कोक के विचलित कर देने वाले इतिहास के बारे
में सवालों के जवाब नहीं मिल जाते मेरी अन्तश्चेतना कोका कोला से धन स्वीकार नहीं
कर सकती न ही इस कम्पनी के साथ मैं अपना नाम जोड़ सकता हूँ. यह एक व्यक्तिगत निर्णय
है और इससे के यू एंडावमेंट असोसिएशन या के यू की मेरी यात्रा के प्रायोजन में
शामिल किसी अन्य से इसका कोई लेना देना नहीं है.. मैं इन मामलों में विशेषज्ञ नहीं
हूँ मैं केवल इस संकट का अध्ययन कर रहा हूँ और एक नैतिक स्टैंड लेने की कोशिश कर
रहा हूँ.
सबसे आसान
काम होता कि मैं कोक के धन को सीधे अस्वीकार कर देता. बहरहाल, मैं सांकेतिकता से
आगे जाना चाहता हूँ. इसलिए मैं आज रात के धन में कोक के पूरे हिस्से, बारह सौ डालर को कोलंबिया के राष्ट्रीय खाद्य श्रमिक युनियन, सिनालत्रेनाल को दान कर रहा हूँ. कोक को कोलम्बिया की एक युनियन को मेरे
आर्थिक सहयोग से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए जिसे उस देश की हिंसा में बर्बाद कर
दिया गया. एक कवि के लिए बारह सौ डालर त्यागना आसान नहीं है लेकिन यूनियन को धन की
आवश्यकता मुझसे अधिक है. शुक्रिया
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कोका
कोला और कोको फ़्रिओ
अपने पारिवारिक घर
प्यूरेटो रिको की अपनी पहली यात्रा में
वह गदबदा लड़का इस टेबल से उस टेबल
मुह बाए भटकता रहा.
हर टेबल पर कोई ताई-दादी
ठंढे दागदार हाथों से इशारा करतीं कोका कोला की गिलास की जानिब
उनमें से एक ने तो अपनी स्मृति भर
चालीस के दशक का कोका कोला का एक विज्ञापन गीत भी सुनाया अंग्रेजी में.
वह चुपचाप पीता रहा हालांकि वह ऊब चुका था
ब्रुकलिन के सोडा फाउन्टेनों के
इस परिचित पेय से
फिर, समुद्र के किनारे
उस गदबदे लड़के ने मुंह खोला कोको फ़्रिओ के लिए
ठंढाया नारियल ऊपर छीला हुआ चाकू से कि उससे साफ़ दूध खींच सके स्ट्रा.
लड़के ने उस हरे खोखल को मुंह से लगाया
और नारियल का दूध टपक आया उसकी ठोड़ी तक
अचानक प्यूरेटो रिको न कोका कोला था न ब्रुकलिन
और वह भी नहीं.
वर्षों बाद तलक वह लड़का अचम्भित रहा एक ऐसे द्वीप पर
जहाँ लोग कोका कोला पीते थे
और एक पराई भाषा में दुसरे विश्वयुद्ध के दौर के
विज्ञापन गीत गाते थे
जबकि पेड़ों पर
दूध से भरे इतने सारे नारियल
गदबदाये और अनछुए लदे रहते थे.
प्यूरेटो रिको की अपनी पहली यात्रा में
वह गदबदा लड़का इस टेबल से उस टेबल
मुह बाए भटकता रहा.
हर टेबल पर कोई ताई-दादी
ठंढे दागदार हाथों से इशारा करतीं कोका कोला की गिलास की जानिब
उनमें से एक ने तो अपनी स्मृति भर
चालीस के दशक का कोका कोला का एक विज्ञापन गीत भी सुनाया अंग्रेजी में.
वह चुपचाप पीता रहा हालांकि वह ऊब चुका था
ब्रुकलिन के सोडा फाउन्टेनों के
इस परिचित पेय से
फिर, समुद्र के किनारे
उस गदबदे लड़के ने मुंह खोला कोको फ़्रिओ के लिए
ठंढाया नारियल ऊपर छीला हुआ चाकू से कि उससे साफ़ दूध खींच सके स्ट्रा.
लड़के ने उस हरे खोखल को मुंह से लगाया
और नारियल का दूध टपक आया उसकी ठोड़ी तक
अचानक प्यूरेटो रिको न कोका कोला था न ब्रुकलिन
और वह भी नहीं.
वर्षों बाद तलक वह लड़का अचम्भित रहा एक ऐसे द्वीप पर
जहाँ लोग कोका कोला पीते थे
और एक पराई भाषा में दुसरे विश्वयुद्ध के दौर के
विज्ञापन गीत गाते थे
जबकि पेड़ों पर
दूध से भरे इतने सारे नारियल
गदबदाये और अनछुए लदे रहते थे.
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मार्टिन एस्पादा की कविताओं की एक पुस्तिका 'कोका कोला और कोको फ्रिओ' तथा 'मृत्यु', 'डर' और 'बेरोज़गारी' पर आधारित तीन अन्य पुस्तिकाएँ दख़ल प्रकाशन और प्रतिलिपि बुक्स की साझा पहल से प्रकाशित हुई हैं. इस सेट का मूल्य है १००/- रुपये
वक्तव्य और कविता का बढ़िया अनुवाद प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद और बधाई.
जवाब देंहटाएंएस्पादा की सारी बातों से सहमति है, कविता भी बेहतरीन, लेकिन कोका कोला से पैसा लेकर यूनियन को चन्दा देनेवाली बात पचा नहीं पा रहा हूँ.
"लड़के ने उस हरे खोखल को मुंह से लगाया
जवाब देंहटाएंऔर नारियल का दूध टपक आया उसकी ठोड़ी तक
अचानक प्यूरेटो रिको न कोका कोला था न ब्रुकलिन
और वह भी नहीं." इन पंक्तियों में भी प्रतिरोध है, और चाकू-जैसा धारदार है. बयान में यूनियनकर्मियों की पीड़ा के साथ एकाकार होना तो दिखता है, पर बारह सौ डॉलर कंपनी से लेकर यूनियन को दे देना नैतिक संकट से निकल आना नहीं है. यूनियन यदि इस पैसे को स्वीकार न करती (किया हो, यह बयान में नहीं है) तो संकट और बढ़ जाता. ऐसा अपने यहां के किसी संदर्भ में अपने कवि ने किया होता, तो अपनी प्रतिक्रिया क्या होती. कवि की निश्छलता, उसका मंतव्य और सरल काव्यात्मक -प्रतिरोध, सभी प्रणम्य हैं.