भ्रष्टाचार और काले धन के कास्मेटिक विरोध के इस दौर में असल समस्या पर नजारा डालता अनूप बहुजन का यह आलेख सीधे फेसबुक से...अनूप जे एन यू में पढते हैं और अब जनपक्ष की टीम के सदस्य हैं...उनका स्वागत...


मास्टरप्लान में पिसता किसान-मजदूर 

देश में ढांचागत विकास की आंधी चल रही है. हमारे वित्त मंत्री के अनुसार देश की आर्थिक विकास दर ९ % के आस-पास है और उसमें सेवा क्षेत्र तथा ढांचागत विकास का आधे से ज्यादा योगदान है. आज संसद से लेकर सड़क तक अत्याधुनिक मॉल, शौपिंग काम्प्लेक्स, विश्व स्तरीय टाउन विकसित किये जा रहे है. बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपना प्लांट लगाने के लिए तो जल-जंगल-जमीन सब चाहिए.  लेकिन अब इसके लिए जमीन कम पड़ रही है. अब सरकार तथा बिल्डर्स किसानो से जमीन बेचने के लिए तथा मजदूरों से अपने आशियाने खाली करने को कह रही है, किसान जहाँ संगठित है वहां इसका विरोध कर रहे है नहीं तो चुपचाप औने पौने दाम पर जमीन बेचकर पलायन कर रहे है. ऐसा भी होता है कि झुग्गी-झोपडी-गरीब-आदिवासी की बस्ती अचानक बुलडोजर तले रौंद दी जाती है. लोग जब पूंछते है कि हमें तो नोटिस मिला ही नहीं तो तपाक से उन्हें एक कागज दिखा दिया जाता है कि आपका मकान 'मास्टरप्लान' में आता है. 
असल में मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के सफ़र में भारत में 'निओ-मिडिल क्लास' का उदय हुआ है, इस उदारीकरण के दौर में भारत में विदेशी पूँजी निवेश का अविरत प्रवाह हुआ है. देश में अनेकानेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भी आगमन होता है, इसने देश के बाजार के साथ-साथ संस्कृति और जीवन-मूल्य भी प्रभावित किया. इस मिडिल क्लास के पास बेतहाशा धनसंचय हुआ है, आज मिडिल क्लास का उटोपिया है-  मल्टीकल्चररल सोसाईटी और कास्मोपालिटन शहर. उसे लन्दन और लॉस वेगास की सुविधाएँ यहीं भारत में चाहिए. इन्हें साफ सुथरी सड़के, बिग बाज़ार टाईप के ऐसे मॉल जहाँ एक ही छत के नीचे हर प्रकार की चीजें उपलब्ध हो जाएँ तथा शोरगुल से दूर एक शानदार फ़्लैट चाहिए. दिल्ली के पास गुडगाँव और कोलकाता का साल्ट लेक सिटी इसके उपयुक्त उदाहरण है. सरकार भी अनुदार नहीं है इस मामले में.
आज सरकार की नीतियों और योजनाओ में जिस वर्ग के बारें में सबसे ज्यादा सोचा जाता है वह है मध्यम वर्ग. सोचेगी क्यों न , सरकार को इसी वर्ग से सर्वाधिक टैक्स भी मिलता है. सरकारें स्वयं इस वर्ग की हितपूर्ति के लिए आगे आती है. सरकारें भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस जारी करती है किसानों-मजदूरों पर दबाव डालती है. सरकार साम-दाम-भेद के द्वारा अपनी स्कीम को सफल बनाती है और अंत में दंड का भी प्रयोग करती है. उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक सरकार की दंडात्मक कार्यवाही जारी है. 
किसानों को उचित मुवावजा दिए बगैर उनकी जमीन वही सरकार छीन रही है जिसको इसलिए बहुमत दिया गया कि ये हमारे लिए कुछ बेहतर काम करेगी. सरकार भी एक सेमी-पेरिफरी (semi-peripfery) की तरह काम करेगी क्योंकि कोर (core) यानी  नव-धनाढ्य वर्ग है उसे जो चाहिए सरकारें पेरिफरी (periphery) यानी जनता से छीनकर उनके हवाले कर देगी. अब सरकारों की संप्रभुता खतरें में पड़ गयी है क्योंकि रिमोट कंट्रोल कही और है, खनिज सम्पदा से भरपूर राज्यों में आम जनता की हालत सबसे बदतर है जबकि होना ये चाहिए था कि सबसे ज्यादा आम आदमी-आदिवासी लाभान्वित हो. लेकिन वहां की सरकारों का सरोकार जनता से नहीं जल-जमीन-जंगल लूटने वाली पोस्को तथा वेदांता जैसी कंपनियों से है. यानी रिमोट कंट्रोल फ़ोर्ब्स लिस्ट में शामिल देश के सज्जनों के पास चला गया है. ये सज्जन ही आज देश की योजनाओं, अर्थव्यवस्था में कोर (core) की भूमिका निभा रहे है. इनकी अपनी एक अलग जमात है और उनके चाहने वाले भी है. इन्ही सब के लिए मास्टरप्लान तैयार किया जाता है, 


आज जब सत्ताधारी नस्ल तथा प्रभु वर्ग का हित एक हो गया है और अपने मास्टरप्लान के तहत गरीब जनता का शोषण कर रहे है ऐसे में शोषित के पास क्या विकल्प बचते है???
देश में संवैधानिक व्यवस्था के तहत प्रतिनिधियों को चुनने का हक़ है उन्हें वापस बुलाने का नहीं. कहने को विश्व का सबसे बड़ा संविधान अपने भारत का है लेकिन विश्व कि सर्वाधिक गरीब जनता के लिए ये अबूझ पहेली के सामान है जहाँ संविधान को जनहित का स्वर्गद्वार होना चाहिए ऐसा न होकर ये वकीलों के लिए स्वर्ग बना हुआ है. देश के संविधान वेत्ताओ और बौद्धिक वर्ग को ये प्रयास करना चाहिए कि इसका छोटा, सहज  और सरल भाषा में ऐसा प्रारूप उपलब्ध हो जिसे हर व्यक्ति पढ़ सके और समझ सके. इसके आलावा  vote to recall की मांग उठाये और इसके लिए यदि आवश्यकता हो तो देशव्यापी आन्दोलन का सञ्चालन करें. लोगो को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना पड़ेगा. जमीन अधिग्रहण को एक देशव्यापी मुद्दा बनाना होगा.


हमें इस पर भी विचार करना होगा कि आज जिस उपजाऊ  जमीन पर मास्टरप्लान के तहत ओवरब्रिज, हाइवे, मॉल, टाउन विकसित हो रहे है उससे देश के नव धनाढ्य के ग्लोबल लालच की शायद ही पूर्ती हो पाए लेकिन इस एवज में जो जमीन हम खोएंगे वो कभी नहीं मिल सकेगी. २००३ के अनुसार देश में उर्वर जमीन  558,080 sq km है और हमारी आबादी सवा अरब के आस-पास. कई सालो से हम खाद्यान्न संकट से जूझ रहे है और बाहर से भी खाद्य आयात करना पड़ रहा है ऐसे में ढांचागत विकास की नीति के बारे में पुनर्विचार करना होगा. यदि दो जून की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे है तो ऐसा विकास किस काम का. 
 साथ ही सामाजिक न्याय के पैरोकारों को सड़क से लेकर संसद तक का मार्च करना पड़ेगा. आज देश को ये जरूरत आ पड़ी है कि वे सामंतवाद-बाजारवाद-सत्ताधारीवर्ग के कार्टेल के खिलाफ अपने  जनांदोलन  को एक नयी गति दे, उनके मास्टरप्लान  को ध्वस्त कर दे. आज युवा वर्ग को ये जिम्मेदारी अपने कन्धों पर लेनी पड़ेगी कि चुनाव पद्धति से लेकर सरकार बनाने की परिधि में शामिल होकर इस देश को एक नयी दिशा और दशा दे. आज संसद को भी सामाजिक न्याय तथा समतामूलक समाज के प्रति समर्पित युवाओ की जरूरत है न कि राजनैतिक परिवारों के युवराजों की.


 आज बाबाओ और महात्माओ द्वारा भ्रष्टाचार रोकने हेतु नए तरीके से प्रयास हो रहे है  लेकिन इसकी जड़ों पर प्रहार ये साधू महात्मा नहीं करेंगे क्योंकि इनके आभामंडल और कमंडल का प्रभाव नव धनाढ्य वर्ग में ही रहता है, ये प्रभु वर्ग के मास्टररोल के सिर्फ नट-बोल्ट है. किसान-मजदूर के खेत, रोटी कपडा और मकान से इनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. उनका ये प्रयास हमारी संवैधानिक व्यवस्था के महत्त्व को नगण्य कर देगी. इस देश की व्यवस्था में बदलाव जनांदोलन के द्वारा ही होगा यही अंतिम विकल्प है, हथियारबंद आन्दोलन का हस्र हम देख ही चुके है.

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    • Himanshu Pandya इसे बाँट लिया .
      02 June at 23:11 ·  ·  1 person

    • Sheeba Aslam Fehmi Ditto!
      02 June at 23:24 · 

    • Rajesh Mandal Jnu well done anoop !! वैश्विकरण, उदारीकरण और इसका आम जनता पर प्रभाव, सरकार द्वारा किसानो का भूमि अधिग्रहण, और इस देश की व्यवस्था में बदलाव जनांदोलन के द्वारा ही होगा !! समसामयिक मुदो पर एक अच्छा लेख !
      02 June at 23:53 · 

    • राकेश शर्मा 
      Anoop ji bahut hi prabavsaali lekh hai........ Aapka. hamare pm sahab ne badhti hui mahngai pr puche gaye ek sawaal ka abhi kuch dino pahle utter diya tha ki logo ki aamdani bad rahi hai isiliye mahngai bad rahi hai unke isi baat ko vit man...See more

      03 June at 06:12 via Facebook Mobile · 

    • Rakesh Kumar 
      yesss ,,,,,,logo ki amdani bada rahi he jab pahle se viksit he wo viksit ho raha he jaaka dekho un bastiyo me jaha aaj b sirf 1500 or 2000 me log naali saaf kar rahe he wo apna kharcha chalaye ya bachho ko padaye usme ya fir sucide kar le ....See more

      03 June at 14:20 ·  ·  2 people