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गुरुवार, 1 सितंबर 2011

अहिंसा एक पवित्र हथियार है...




  • रेयाज़ उल हक 

हमसे कहा जाता है
कि इसे मान लो
कि अहिंसा एक पवित्र हथियार है

बेशक दोस्तों
अहिंसा एक पवित्र हथियार है
यह पवित्र है
क्योंकि यह गुजरात के मुसलमानों के
खून में सनी है
हमने इसे जनसंहारों के बाद
दलितों की बस्तियों में छाए मातम के बीच मुस्कुराते देखा है
इसे देखा है हमने

इसका दूसरा नाम
कांधमाल भी है
और झज्झर भी
यह बाबरी मसजिद को तोड़े जाने की अहिंसा है
यह वही अहिंसा है
जिसने शंबूक का सिर काटा था

यह बंटाई पर बोए गए खेतों में
बहते पसीने और उपजती भूख की अहिंसा है
यह सूखी नहरों और महंगे खाद की अहिंसा है
ठंडे चूल्हों की राख से पूछो इस अहिंसा का मतलब
जलाई गई औरतों से पूछो इसकी शिनाख्त

इसके चेहरे पर सलवा जुडूम की कालिख है
और लाखों किसानों की खुदकुशी का दाग
यह गांवों में वीरान अस्पतालों
और शहरों में आबाद जेलों की अहिंसा है

यह अहिंसा है
जिसे हम पर थोपता है संविधान
अपने संगीनों के साए में इसे लागू करती है
दुनिया की सबसे बड़ी फौज
काले कानून करते हैं इसकी
हिफाजत

यह अहिंसा
कश्मीर की कब्रगाहों की अहिंसा है
मणिपुर के कत्लगाहों की अहिंसा है
फांसी के तख्तों और फर्जी मुठभेड़ों की अहिंसा है

यह सेज है, हाइवे है, मॉल है, फौजी शिविर है
चौबीस घंटे का चैनल है, बॉलीवुड की फिल्म है

यह वो झूठ है जिसे सच की तरह बताया जाता है

यह अहिंसा है
जो भूख को रोटियों से अलग करती है
यह गांवों को उजाड़ती है
और घरों को झुग्गियों में बदल डालती है
यह तय करती है
ताकत के साथ
मेहनत का
गैरबराबरी भरा रिश्ता

यह बदल देती है
इंसाफ को
जुल्म से

हमें जुल्म से नफरत है
और अहिंसा से खतरा
हम
जो चाहते हैं कि
रोटियां भूख मिटाने के लिए हों
मुनाफा कमाने के लिए नहीं
हम, जो चाहते हैं कि
नदी, जंगल, पहाड़
तितलियां और पक्षी
जीवन में रंग भरने के लिए हों
सूचकांकों के आंकड़े बनने के लिए नहीं

हम
जो चाहते हैं खेतों में उपजाना
दुनिया भर की खुशियां
और कारखानों में भविष्य के सपने
हम, जो चाहते हैं
दुनिया के नक्शे में
पूरा का पूरा कश्मीर
पूरा का पूरा मणिपुर
पूरा का पूरा फलस्तीन
एक पूरे देश की शक्ल में

हम चाहते हैं
इंसाफ
हम चाहते हैं
आजादी
हम चाहते हैं सारी दुनिया के लिए
भूमकाल
हम चाहते हैं, दुनिया की सारी भाषाओं में
उलगुलान जैसे शब्द
हम चाहते हैं हर गांव का नाम बस्तर हो
और हर चौराहा हो लालगढ़
यह साफ है दोस्तों
कि हम नहीं चाहते बिना इंसाफ की अहिंसा
हम नहीं चाहते बिना बराबरी की शांति.

10 टिप्‍पणियां:

  1. reyaz, sach he bager shanti aur barabari k ahinsa ka koi matlab nahi, esi ahinsa hinsa k baraks jyada khatarnak hai. ashok bhai ko dhanyavad, achchi kavita padane k liye.

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  2. अच्छी कविता ..... अहिंसा की बुद्ध कालीन अवधारणा पर एक बार फिर से सोचने को विवश कर रही है .

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  3. अहिंसा की अवधारणा की चीड़-फाड़ करती हुई जबरदस्त कविता. सच है, न्याय और समानता के बिना अहिंसा सिर्फ यथास्थिति की पोषक भर हो सकती है. रियाज़ भाई को इस साहसिक कविता के लिए सलाम पेश करता हूँ.

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  4. अहिंसा के सारे सन्दर्भों,मंतव्यों, और वास्तविकताओं को निर्ममता के साथ उद्घाटित करती है यह कविता. इस सबके बगैर अहिंसा एक अमूर्त प्रत्यय बन कर रह जाती. बिना वर्गीय दृष्टि को कम में लिए अहिंसा का वास्तविक अर्थ उजागर हो ही नहीं सकता. शासक वर्ग की हिंसा को 'हिंसा'न मानने वालों के अपने तर्क होते हैं.न्याय,बराबरी, और शांति क़ायम किए बिना वाह सब घटित होता रहेगा जिसका बहुत तकलीफ के साथ रेयाज़ ने तफसील से व्योरा दिया है इस कविता में.

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  5. अहिंसा के सारे सन्दर्भों,मंतव्यों, और वास्तविकताओं को निर्ममता के साथ उद्घाटित करती है यह कविता. इस सबके बगैर अहिंसा एक अमूर्त प्रत्यय बन कर रह जाती. बिना वर्गीय दृष्टि को कम में लिए अहिंसा का वास्तविक अर्थ उजागर हो ही नहीं सकता. शासक वर्ग की हिंसा को 'हिंसा'न मानने वालों के अपने तर्क होते हैं.न्याय,बराबरी, और शांति क़ायम किए बिना वाह सब घटित होता रहेगा जिसका बहुत तकलीफ के साथ रेयाज़ ने तफसील से व्योरा दिया है इस कविता में.

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  6. यह जबरदस्त कविता हिंसकों की अहिंसा के खिलाफ एक मजबूत दावा है वक़्त की अदालत में ! यह कविता सर्वजन तक पहुँचे, मेरी कमाना hai !

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  7. Aaj janvaadi kavi pash ka janmdin hai or aapn bhi unki bhanti likha hai or mere liye pash ki yaad di hai ahinsa ki soch ko punrbhashit karne ki jarurat hai

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  8. Aaj janvaadi kavi pash ka janmdin hai or aapn bhi unki bhanti likha hai or mere liye pash ki yaad di hai ahinsa ki soch ko punrbhashit karne ki jarurat hai

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  9. आज 02/10/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  10. वाह...
    बधाई इस सशक्त अभिव्यक्ति के लिए.

    अनु

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