(फिरोज हमारे युवा संवाद के साथी हैं…यहां पीपुल्स समाचार में कार्यरत पत्रकार…अपनी बिटिया के लिये लिखी उनकी ये दो कवितायें पढ़ते हुए आप उस संवेदना का पता पा सकते हैं जो उन्हें 'सफल' पत्रकार नहीं बनने देती)
एक कविता बेटी शीरीं के नाम
(1)
मेरी आंखों का अधूरा ख्वाब हो तुम
आंधी नींद का टूटा हुआ सा ख्वाब
मेरे लिए तो तुम वैसे ही आई
जैसे मजलूमों की दुआएं सुनकर
सदियों के बाद आए
पैगम्बर
या कि मथुरा की उस जेल में
एक बेबस मां की कोख
में पलता एक सपना
पैवस्त हुआ हो
मुक्ति के इंतजार में
मैं जानता हूं कि
तुम्हारे पास न कोई छड़ी है पैगम्बरी
और न ही कोई सुदर्शन चक्र
दुनिया के लिए
तुम होगी सिर्फ एक औरत
एक देह
और होंगी
नि्शाना साधतीं कुछ नजरें
तुम्हारे आने की खुशी है बहुत
दुख नहीं, डर है
कि पैगम्बर के बंदे अब
ठंडा गोश्त नहीं खाते
(2)
मैंने देखा
तुम आई हो
आई हो तो खुशआमदीद
आधी दुनिया तुम्हारी है
जबकि मैं जानता हूं कि
इस आधी दुनिया के लिए
तुम्हें लड़ना होगी पूरी एक लड़ाई
तुम्हारी इस आधी दुनिया
और मेरी आधी दुनिया का सच
नहीं हो सकता एक
तुम आई हो तब
जबकि खतों के अल्फाज़
दिखते हैं कुछ उदास
कागज पर नहीं दिखता
चेहरा
हंसता, उदास, गमगीन या कि इंतजार में
पथराई हुई आंखें लिए
आई हो तो खुशआमदीद
लेकिन तब आई हो
जबकि नहीं खुलते दरवाजे कई
एक आंगन में
नहीं लौटते परिंदे किसी पेड़ पर
पेड़ इंतजार में हुआ जाता है बूढ़ा
मेरा समय
तुम्हारे समय से बेहतर है
यह न मैं जानता हूं
और न तुम बता पाओगी लेकिन
मैंने सुना है
जमीन पर
तीन हिस्सा पानी है और
सुना तो यह भी है कि
आदमी भी
तीन हिस्सा पानी ही तो है
जमीन सूख रही है
वो दुनिया की हो
या कि आदमी की
उतर रहा है पानी
आंखों से नीचे तक
अपनी आंखों का पानी
बचाए रखना तुम
तुम आई हो तो खुशआमदीद
लाजवाब करती कविताएं...
जवाब देंहटाएंऔर यह बात भी...
‘ये दो कवितायें पढ़ते हुए आप उस संवेदना का पता पा सकते हैं जो उन्हें 'सफल' पत्रकार नहीं बनने देती’..........
फेसबुक से
जवाब देंहटाएंAseem Nath Tripathi commented on your link:
"बहुत अच्छी कविता है..दिल को छू गयी "
कैसा समाज है ये जहाँ संवेदनशीलता व्यक्ति को सफल नहीं होने देती... कभी-कभी मुझे भी ऐसा लगता है, पर मुझे संवेदनशीलता, सफलता से कहीं अधिक कीमती लगती है... दुनिया करती रहे सफलता की पूजा...
जवाब देंहटाएंकवितायें बहुत सुन्दर हैं... भावुक कर देने वाली.
बेहद भावुक और संवेदनशील रचनायें……………दिल मे उतर गयीं।
जवाब देंहटाएंइस आधी दुनिया में बहुत मुश्किल है खुद को बनाये रखना और उससे भी मुश्किल आँखों में पानी भी रखना ...
जवाब देंहटाएंमगर संवेदनशीलटा हमेशा ही सफलता पर हावी रहेगी ...!!
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंbahut samvedan sheel rachna...ek pita ke man se beti k liye yahi udgaar nikal sakte hai.
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावशाली रचनाएँ....इस अधि दुनिया में अस्तित्व बनाये रखना कितना मुश्किल है..
जवाब देंहटाएंकितने सारे बेटी शब्द के पर्यायवाची गिना दिए कविताओं में फ़िरोज़ जी ने...
जवाब देंहटाएंअपनी आँखों का पानी
बचाए रखना तुम....
आह!
अच्छी कविताएं हैं भाई। पढ़वाने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविताएँ...बेपनाह ख़ुशी के साथ एक डर भी छुप कर बैठा है...इस दुनिया के कडवे सच को कैसे झेल पायेगी वो नन्ही सी जान..
जवाब देंहटाएंतुम्हें लड़ना होगी पूरी एक लड़ाई
तुम्हारी इस आधी दुनिया
और मेरी आधी दुनिया का सच
नहीं हो सकता एक
सच्चाई दर्शाती पंक्तियाँ.
कमाल है मित्र- पिता को कई स्वरूपों में देखा है। यह स्वरूप सर्वश्रेष्ठ हैं। शायद इसी लिए बेटी की विदाई बाबुल के घर से होती है मां के घर से नही।
जवाब देंहटाएंवाकई में इनक्रेडिबल है ड्यूड।