प्रतिरोध का सिनेमा अभियान का सोलहवां और गोरखपुर का छठा फिल्म फेस्टिवल इस बार आधी दुनिया के संघर्षों की शताब्दी और लेखक- पत्रकार अनिल सिन्हा की स्मृति को समर्पित होगा. यह वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का शताब्दी वर्ष है. इस मौके बहाने इस बार गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल में महिला फिल्मकारों और महिला मुद्दों को ही प्रमुखता दी जा रही है. इसके अलावा जन संस्कृति मंच के संस्थापक सदस्य और लेखक-पत्रकार अनिल सिन्हा सिन्हा स्मृति को भी छठा फेस्टिवल समर्पित है. गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल से ही पहले अनिल सिन्हा स्मृति व्याख्यान की शुरुआत होगी. पहला अनिल सिन्हा स्मृति व्याख्यान फेस्टिवल के दूसरे दिन २४ मार्च को शाम मशहूर भारतीय चित्रकार अशोक भौमिक "चित्तप्रसाद और भारतीय चित्रकला की प्रगतिशीलधारा" पर देंगे.
२३ मार्च की शाम को ५ बजे प्रमुख नारीवादी चिन्तक उमा चक्रवर्ती के भाषण से फेस्टिवल की शुरुआत होगी.
पांच दिन तक चलने वाले छठे गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल में इस बार १६ भारतीय महिला फिल्मकारों की फिल्मों को जगह दी गयी है. इन फिल्मकारों में से इफ़त फातिमा, शाजिया इल्मी, पारोमिता वोहरा और बेला नेगी समारोह में शामिल भी होंगी. छठे गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल को पिछले फेस्टिवल की तरह ही इस बार फिर दो नयी फिल्मों के पहले प्रदर्शन का गौरव हासिल हुआ है. ये फिल्में हैं - नितिन के की कवि विद्रोही की कविता और जीवन को तलाशती"मैं तुम्हारा कवि हूँ " और दिल्ली शहर और एक औरत के रिश्ते की खोज करती समीरा जैन की फिल्म "मेरा अपना शहर" . बेला नेगी की चर्चित कथा फिल्म "दायें या बाएं" से फेस्टिवल का समापन होगा.
इस बार के फेस्टिवल में में फिल्म के साथ-साथ दूसरी कला विधाओं को भी प्रमुखता दी गयी है. अशोक भौमिक के व्याख्यान के अलावा उदघाटन वाले दिन उमा चक्रवर्ती पोस्टरों के अपने निजी संग्रह के हवाले महिला आन्दोलनों और राजनैतिक इतिहास के पहलुओं को खोलेंगी. मशहूर कवि बल्ली सिंह चीमा और विद्रोही का एकल काव्य पाठ फेस्टिवल का प्रमुख आकर्षण होगा. पटना और बलिया की सांस्कृतिक मंडलियाँ हिरावल और संकल्प के गीतों का आनंद भी दर्शक ले सकेंगे. महिला दिवस के शताब्दी वर्ष के खास मौके पर हमारे विशेष अनुरोध पर संकल्प की टीम ने भिखारी ठाकुर के ख्यात नाटक बिदेसिया के गीतों की एक घंटे की प्रस्तुति तैयार की है. बच्चों के सत्र में रविवार के दिन उषा श्रीनिवासन बच्चों को चाँद -तारों की सैर करवाएंगी. फिल्म फेस्टिवल में बी मोहन नेगी के कविता पोस्टरों और युवा चित्रकार अनुपम राय की प्रदर्शनी को भी संयोजित किया गया है.
फिल्म फेस्टिवल में ताजा मुद्दों पर बहस शुरू करने के इरादे से इस बार भोजपुरी सिनेमा के ५० साल और समकालीन मीडिया की चुनौती पर बहस के दो सत्र संचालित किये जायेंगे. इन बहसों में देश भर से पत्रकारों के भाग लेने की उम्मीद है.
गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल से ही २००६ में प्रतिरोध का सिनेमा का अभियान शुरू हुआ था. पांच वर्ष बाद फिर से गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल ने ही इस बार एक महत्वपुर्ण पहल ली है. यह पहल है देश भर में स्वंतंत्र रूप से काम कर रही फिल्म सोसाइटियों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन की. फेस्टिवल के दूसरे दिन इन सोसाइटियों का पहला सम्मेलन होगा जिसमे प्रतिरोध का सिनेमा अभियान के बारे में महत्वपूर्ण विचार विमर्श होगा और राष्ट्रीय नेटवर्क का निर्माण भी होगा.
इरानी फिल्मकार जफ़र पनाही के संघर्ष को सलाम करते हुए उनकी दो महत्वपूर्ण कथा फिल्मों ऑफ़साइड और द व्हाइट बैलून को फेस्टिवल में शामिल किया गया है. गौरतलब है कि इरान की निरंकुश सरकार ने जफ़र पनाही के राजनैतिक मतभेद के चलते उन्हें ६ साल की कैद और २० साल तक किसी भी प्रकार की अभिव्यक्ति पर पाबंदी लगा दी है.
प्रतिरोध का सिनेमा की मूल भावना का सम्मान करते हुए इस बार का आयोजन भी स्पांसरशिप से परे है और पूरी तरह जन सहयोग के आधार पर संचालित किया जा रहा है. फेस्टिवल गोकुल अतिथि भवन,सिविल लाइंस, गोरखपुर में सम्पन्न होगा . आयोजन में शामिल होने के लिए किसी भी तरह के प्रवेश पत्र या औपचारिकता की जरुरत नही है. आप सब सपरिवार सादर आमंत्रित हैं. सलंग्न फ़ाइल में फेस्टिवल का विस्तृत प्रोग्राम देखें.
आपके सहयोग की उम्मीद में.
रामकृष्ण मणि त्रिपाठी
अध्यक्ष, छठा गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल आयोजन समिति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
स्वागत है समर्थन का और आलोचनाओं का भी…