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रविवार, 9 सितंबर 2012

जल सत्याग्रहियों के समर्थन में



जल में आधे डूबे हुए अपने पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे सत्याग्रहियों के समर्थन में  यह पर्चा भोपाल के परिवर्तनकामी संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया है. उनके लिए न्याय की अपील वाले पत्र प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री , मानवाधिकार आयोग तथा जिलाधीश को भेजने के लिए यहाँ क्लिक कर ई मेल भी भेजे जा सकते हैं.

उचित पुनर्वास के लिये नर्मदा घाटी में जारी जल-सत्याग्रह की मांगें पूरी करो!
जन, जल, जंगल और ज़मीन का विनाश कर रही नव-उदारवादी नीतियां रद्द करो  !


Ø   सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और शिकायत निवारण प्राधिकरण के स्पष्ट आदेशों की अवमानना करते हुए, हजारों बांध प्रभावितों का पुनर्वास न होने के बावजूद, राज्य सरकार द्वारा हाल ही में ओंकारेश्वर बांध में 193 मीटर तक पानी भरने कि घोषणा की गयी और 25 अगस्त से जल स्तर को बढ़ाना शुरू कर दिया गया।
Ø   सरकार की इस घोषणा के खिलाफ ओंकारेश्वर बांध के डूब प्रभावित घोगाल गाँ (जिला खंडवा) में 16 जुलाई से बांध-विस्थापितों द्वारा शांतिपूर्ण सत्याग्रह की शुरुआत की गई|
Ø   25 अगस्त को देर शाम जब बांध में जल स्तर करीब 1.5 मीटर बढ़ा दिया गया तो बांध-विस्थापितों ने पानी में उतर कर जल-सत्याग्रह प्रारंभ कर दियायह जल-सत्याग्रह अब तक लगातार जारी है लेकिन सरकार की ओर से चुप्पी कायम है।
Ø   सत्याग्रहियों की मांग है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 189 मीटर के स्तर से अधिक पानी नही बढ़ा और विस्थापितों को सिंचित जमीन प्रदान करे तथा प्रत्येक मजदूर को ढ़ा लाख रूपये प्रत्येक परिवार के हिसाब से प्रदान करे। उनकी यह भी मांग है कि डूब क्षेत्र के छूटे हु मकानों का भू-अर्जन किया जा तथा छूटे हु परिवारों को पुनर्वास के सारे लाभ दिये जाएं। इसके अलावा, देवास जिले के धाराजी, नरसिंहपुरा, गुवाड़ी, नयापुरा और कोथमीर गांवों की जो जमीने डूब क्षेत्र में हैं, उनका भू-अर्जन किया जाए तथा उचित पुनर्वास किया जाए। यह पूरी तरह से शांतिपूर्ण सत्याग्रह बांध-विस्थापित अपने मूलभूत अधिकारों को लागू कराने के लिये कर रहे हैं।
Ø   पिछले सा, 11 मई 2011 को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रभावितों के पक्ष में दिये निर्णय में कहा था कि सरकार को पुनर्वास नीति का कड़ाई से पालन करना होगा तथा भूमि-धारक को जमीन के बदले सिंचित जमीन देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि दी जाने वाली जमीन किसान की मूल जमीन से खराब नही हो सकती है तथा अतिक्रमित भी नही हो सकती है और जमीन आवंटन का काम बांध निर्माण के पूर्व पूरा करना पड़ेगा।
Ø   सुप्रीम कोर्ट और पुनर्वास नीति के अनुसार कोई भी विस्थापन तभी हो सकता है जबकि सरकार विस्थापन के 6 माह पूर्व पुनर्वास की व्यवस्था लागू कर दे। सरकार इस जरूरी नियम का भी लगातार उल्लंघन कर रही है।
Ø   विकास के नाम पर हो रहा विस्थापन और विनाश आज पूरे देश की कहानी है। कॉर्पोरेट लूट के पक्ष में विकास के जन-विरोधी मॉडल को लागू करने के लिये सरकार अपने ही बनाए कानूनों और संविधान का खुला उल्लंघन कर रही है।
Ø   विकास की इन जन-विरोधी नीतियों के चलते आज जहाँ एक तरफ देश की जनता के एक ड़े तबके को उसकी आजीविका, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य के मूलभूत अधिकारों से वंचित कर दिया गया है, वहीं दूसरी तरफ, देश के संसाधनो को देशी-विदेशी पूंजी की खुली लूट के लिये परोस दिया गया है। 
अपने हकों के लिये ड़ते जल-सत्याग्रहियों के दॄढ़-निश्चय, हिम्मत, जज़्बे और संघर्ष को हम सलाम करते हैं
और साथ ही, हम विकास के नाम पर देश में जारी लूट, भ्रष्टाचार और आम जनता की बदहाली की कीमत पर मुट्ठीभर लोगों के फायदे के लिये लागू नीतियों का विरोध करते हुए यह मांग करते हैं कि
·         ओंकारेश्वर और इंदिरासागर बांध के जल-स्तर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय स्तर पर तत्काल लाया जाए।
·         सभी बांध विस्थापित किसानों को जमीन के बदले खेती-योग्य जमीन दी जाए। विस्थापित मजदूरों को उचित मुआवजा और आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जाएं। इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त आदेश का पालन किया जाए।
·         उचित पुनर्वास की पूरी व्यवस्था किये बिना किसी भी तरह का विस्थापन किया जाए।
·         लोकतंत्र-विरोधी, जन-विरोधी और प्रकॄति-विरोधी विकास की नीतियों को तत्काल रद्द किया जाए तथा लोकतंत्र, समता और न्याय पर आधारित और प्राकॄतिक संसाधनों का संरक्षण करने वाली जन-पक्षधर नीतियां लागू की जाएं।  

हम सभी युवाओं, विद्यार्थियों, बुद्धिजीवियों, कामगारों और न्याय-पक्षधर संवेदनशील नागरिकों से अपील करते हैं कि जल-सत्याग्रहियों के संघर्ष को अपना समर्थन दें और जन-विरोधी पर्यावरण-विरोधी विकास के खिलाफ तथा न्यायपूर्ण, समतामूलक और मानवीय मूल्यों पर आधारित समाज के निर्माण की ड़ा को आगे ढ़ाने में सहभागी बने।





अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन;  क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा;  मध्य प्रदेश महिला मंच;  मुस्कान;  सांस्कृतिक मंच, भोपाल;
इकतारा समूह; शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल; भोजन का अधिकार अभियान, मध्य प्रदेश सहयोगी समूह.
संपर्कः  9425928007 (आलोक);  942536602 (पल्लव); 9981773205 (विजय)

3 टिप्‍पणियां:

स्वागत है समर्थन का और आलोचनाओं का भी…