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गुरुवार, 24 जुलाई 2014

हम ख़ैरियत से हैं गाज़ा में आप कैसे हैं?




सीरिया और लेबनान की कम्युनिस्ट पार्टी की पिचासीवीं सालगिरह के मौके पर फिलीस्तीनी गायक और लेखक खालिद-अल-हिब्र ने एक गीत गाया था. विनीत तिवारी जी (Vineet Tiwari) ने आज मुझे वह गीत अंग्रेज़ी में भेजा. अभी पढ़ते-पढ़ते ही उसका अनुवाद कर दिया है मैंने. - संज्ञा उपाध्याय 

हम ख़ैरियत से हैं गाज़ा में
आप कैसे हैं?
हम तो हमलों के बीच ख़ैरियत से हैं
आप कैसे हैं?
हमारे शहीद मलबे तले हैं
बच्चे हमारे अब तंबुओं में रह रहे हैं
और वे सब आपकी ख़ैरियत पूछते हैं
हम ख़ैरियत से हैं गाज़ा में
आप कैसे हैं?
ठीक पीछे समुद्र है हमारे
पर हम हमलावरों को जवाब दे रहे हैं
दुश्मन ऐन सामने है
फिर भी हम लड़ रहे हैं
वह सब कुछ है हमारे पास, जिसकी ज़रूरत है हमें--
खाना और हथियार
शांति के वायदे.
जो समर्थन दे रहे हैं आप हमें
उसके लिए आभारी हैं हम आपके!
हम ख़ैरियत से हैं गाज़ा में
आप कैसे हैं?
हमारी आत्माएँ
हमारे ज़ख्म
हमारे घर
हमारे आसमान
हमारे चेहरे
हमारा खून
हमारी आँखें
हमारे ताबूत
बचाते हैं हमें
आपके हथियारों से
आपके वायदों से
आपके शब्दों से
आपकी तलवारों से
हम ख़ैरियत से हैं गाज़ा में
आप कैसे हैं?


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संज्ञा उपाध्याय 
*लेखक, सम्पादक, प्रकाशक और शिक्षक

5 टिप्‍पणियां:

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