वादी सादेह की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
थोड़ा धीमे बोलो
मैं सुनना चाहता हूँ क्या कह रही है खामोशी
शायद वह कह रही है : आओ !
मैं मानना चाहता हूँ उसकी बात.
* * *
साइनबोर्ड
तमाम साइनबोर्ड सड़कों पर
पता बताते शहरों का
पता बताते गलियों का
पता बताते कारखानों, दुकानों, मकानों का
तमाम साइनबोर्ड नामों से भरे
वह चला जा रहा है
किसी
सादे साइनबोर्ड की तलाश में
* * *
एक पल की मोहलत
मैनें सुन लिया
हाँ, मैनें सुन लिया अपने दिमाग के भीतर बजती इस घंटी को
बंद करो इसे !
मैं सोना चाहता हूँ
बंद करो यह घंटी बराए मेहरबानी !
मैं एक पल की मोहलत चाहता हूँ
अलविदा कहने के लिए उस शख्स को
जो मुझसे मिलने आया था मेरे ख्वाब में
और शुक्रिया अदा करने के लिए अपने हमदर्द का * * *
हवा के भी बच्चे होते हैं
हवा के भी बच्चे होते हैं
वह बिखेरती चलती हैं उन्हें, बहते हुए
एकदम अकेला छोड़ देती है उन्हें
हवा के बच्चे होते हैं सड़कों पर
आकृतिहीन, नंगे, अनाथ
वे हाथ हिलाते हैं आते-जाते लोगों की ओर
उम्मीद में कि उनकी निगाहें ढँक लेंगी उनके अनस्तित्व को
ताकि देंह पा जाएं वे
और दिख सकें
* * *
डूबना
उसने पानी उड़ेला
ढेर सारा पानी
और डूब गया उसमें
कोई कपड़ा लगती थी उसे अपनी आत्मा
और वह धुलना चाहता था उसे
* * *