प्रतिरोध को मैं हमारी ज़िंदगियों की विभीषिकाओं, विसंगतियों को महसूस करने हेतु किसी को उत्साहित करने वाले जेनुइन साधन के तौर पर देखती हूँ. सामाजिक प्रतिरोध कहता है कि जिस तरह हम जी रहे हैं, हमेशा उस तरह जीना ज़रूरी नहीं है. अगर हम खुद शिद्दत से महसूस करते हैं, और शिद्दत से महसूस करने के लिए खुद को और औरों को उत्साहित करते हैं, तो बदलाव लाने के हमारे उत्तरों का बीज हमें मिल जाएगा. क्योंकि जब आप जान जाते हैं कि जिसे आप महसूस कर रहे हैं वह क्या है, जब आप जान जाते हैं तो आप शिद्दत से महसूस कर सकते हैं, शिद्दत से प्यार कर सकते हैं, ख़ुशी महसूस कर सकते हैं, और फिर हम मांग करेंगे कि हमारी ज़िंदगियों के सभी हिस्से वैसी ख़ुशी पैदा करें. और अगर ऐसा नहीं होगा तो हम पूछेंगे,"ऐसा क्यों नहीं हो रहा है?" और यह पूछना ही अनिवार्यतः हमें बदलाव की तरफ ले जाएगा.
इसलिए सामाजिक प्रतिरोध और कला मेरे लिए अभिन्न हैं. मेरे लिए कला के लिए कला का वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं है. 'ईदर' कला 'ऑर' प्रतिरोध जैसी कोई बात नहीं है. मैंने जिस बात को गलत पाया, मुझे उसके खिलाफ बोलना ही था. मैं कविता से प्यार करती थी, मैं शब्दों से प्यार करती थी. पर जो सुन्दर था उसे मेरी ज़िन्दगी को बदलने का मकसद पूरा करना था, वरना मैं मर जाती. इस पीड़ा को अगर मैं व्यक्त नहीं कर सकती और उसे बदल नहीं सकती, तो मैं ज़रूर उस पीड़ा से मर जाउंगी. और यही सामाजिक प्रतिरोध का आग़ाज़ है.
"ऑड्री लॉर्ड", ब्लैक वूमन राइटर्स एट वर्क . संपा: क्लॉडिया टेट. न्यू योंर्क: कॉन्टिनम, 1983,पृ. 100-106.
अत्यंत संक्षेप में अपनी बात को कह दिया है। कला कला के लिए नहीं हो सकती। उसे बेहतर जीवन के लिए होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंकला ही जीवन है।
जवाब देंहटाएं--------
आखिर क्यूँ हैं डा0 मिश्र मेरे ब्लॉग गुरू?
बड़े-बड़े टापते रहे, नन्ही लेखिका ने बाजी मारी।
किसी भी विषय को सामाजिक सरोकारों से जुड़ा होना ही चाहिए ..फिर वह कला हो की विज्ञान.
जवाब देंहटाएंmail par prapt
जवाब देंहटाएंजी हाँ, चिन्तन-दृष्टि साफ़ है। मेरा स्पष्ट अनुमोदन।
— महेंद्रभटनागर
बहुत सुन्दर बात. सचमुच जिस बात को गलत पाया उसके खिलाफ मुझे बोलना ही था. भारत जी के पास भी नायब खजाना है...
जवाब देंहटाएंसाथियो, आभार !!
जवाब देंहटाएंआप अब लोक के स्वर हमज़बान[http://hamzabaan.feedcluster.com/] के /की सदस्य हो चुके/चुकी हैं.आप अपने ब्लॉग में इसका लिंक जोड़ कर सहयोग करें और ताज़े पोस्ट की झलक भी पायें.आप एम्बेड इन माय साईट आप्शन में जाकर ऐसा कर सकते/सकती हैं.हमें ख़ुशी होगी.
स्नेहिल
आपका
शहरोज़
Passion speak passion! Absolute soul stirrer!
जवाब देंहटाएंकला के उद्देश्य को बहुत अच्छी तरह स्पष्ट किया गया है...कला की भी एक जिम्मेवारी है, जीवन को बेहतर बनाने की..बहुत गहरी सोच को दर्शाती हैं,ये चंद पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएं