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रविवार, 9 अक्टूबर 2011

चे के शहादत दिवस पर ....

आज चे का शहादत दिवस है. 

९ अक्टूबर १९६७ को बोलीविया में आजादी के लिए लड़ते हुए वह धोखे से मारे गए थे. जीते जी एक किवदंती बन चुके चे आज भी इंकलाबी युवाओं के लिए एक कल्ट हैं, एक आदर्श, एक हीरो. क्यूबा की सफल क्रान्ति के बाद सत्ता का हिस्सा बन कर जीने की जगह उन्होंने पूरे लैटिन अमेरिका में क्रान्ति के प्रयासों में जिस तरह अपना जीवन दे दिया वह एक सच्चा अंतरराष्ट्रीयतावादी क्रांतिकारी ही कर सकता है. 

इस अवसर पर प्रस्तुत है उनकी पहली बरसी पर उनके अभिन्न मित्र फिदेल कास्त्रो द्वारा क्यूबा में लाखों लोगों की सभा में दिए गए भाषण का एक हिस्सा. भाषण चे की किताब 'रेमिनिसेंसेज आफ क्यूबन रेवोल्यूशनरी  वार ' में संकलित है और अनुवाद मेरा.
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अगर गोर्रिल्ला के रूप में उनमें अन्तर्निहित कोई कमजोरी थी तो यही कि वह अत्यंत आक्रामक थे, पूर्णतः भयमुक्त! - फिदेल 



चे के साथ फिदेल कास्त्रो, १९६१ में 
...यह उनकी सबसे खास विशेषताओं में से एक थी - सबसे खतरनाक मिशन के लिए खुद को प्रस्तुत करने की उनकी स्पृहा. और ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि एक ऐसे साथी योद्धा के लिए जो इस ज़मीन पर पैदा भी नहीं हुआ था और हमारे साथ लड़ रहा था, जिसके पास गंभीर विचार थे और जिसके मष्तिष्क में पूरे महाद्वीप के लिए मुक्ति संघर्ष के स्वप्न खदबदाते रहते थे और जो इतना परोपकारी, इतना आत्ममुक्त, सबसे मुश्किल और खतरनाक कामों को करने के लिए इतना तत्पर रहता था -- हमारे मन में अथाह प्रशंषा का भाव जागता, सामान्य से दोगुना!

...चे एक अतुलनीय योद्धा थे. चे एक अतुलनीय नेतृत्वकर्ता थे. युद्ध के लिहाज से चे एक अद्भुत योग्यता वाले व्यक्ति थे, अद्भुत साहसी और अद्भुत रूप से आक्रामक. अगर गोर्रिल्ला के रूप में उनमें अन्तर्निहित कोई कमजोरी थी तो यही कि वह अत्यंत आक्रामक थे, पूर्णतः भयमुक्त!

१० अक्टूबर, १९६७ को चे का मृत शरीर मीडिया के सामने 
...और इसीलिए युद्ध में - जिन तमाम युद्धों में उन्होंने हिस्सेदारी की थी उनमें से एक में, वह शहीद हुए. हमारे पास इतनी पर्याप्त जानकारी नहीं कि हम उस युद्ध की पूर्व स्थितियों के बारे में या फिर उसमें उनकी बहादुराना आक्रामक भागीदारी के बारे में कुछ कह सकें. लेकिन मैं दोहराता हूँ - अगर गोर्रिल्ला के रूप में उनमें अन्तर्निहित कोई कमजोरी थी तो यही कि वह अत्यंत आक्रामक थे, पूर्णतः भयमुक्त!

और यहाँ हम उनसे बमुश्किलन सहमत हो सकते हैं. क्योंकि हम उनके जीवन, उनके अनुभव, एक परिपक्व नेता के रूप में उनकी क्षमता, उनकी प्रतिष्ठा और वह सब कुछ जो उनके जीवन से परिलक्षित होता है, को ज़्यादा कीमती मानते हैं, जितना वह मानते थे उससे कहीं ज़्यादा कीमती!

...जब लोग मरते हैं तो उनके गुणों के वर्णन करने वाले भाषण देना आम बात है. लेकिन शायद ही कभी ऐसे मौकों पर अधिक न्यायसंगत और अधिक सत्यतापूर्वक वह सब कुछ कहा जा सकता है जो हम चे के बारे में कहते हैं -- वह क्रांतिकारी गुणों के समुच्चय के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण थे.....

वह हमारे लिए छोड़ गए हैं अपना क्रांतिकारी चिंतन, क्रांतिकारी गुण, वह  छोड़ गए हैं अपना अनुकरणीय चरित्र, अपने सपने, अपना लगाव, कामों के प्रति अपना उत्साह. एक शब्द में कहें तो - अपना उदाहरण! उनका उदाहरण दुनिया भर की जनता के लिए एक प्रतिमान होगा, आदर्श प्रतिमान!

साभार-गूगल, सौजन्य- बबुषा 


   

10 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत भाषण है, कास्त्रो का. भावुकता के क्षणों में भी इतनी तर्कसंगत और न्यायोचित टिप्पणी कर पाना हरेक के वश की बात नहीं है. चे के गुणों का जिस तरह बखान किया है उससे कास्त्रो की संवेदनशीलता की जो झलक मिलती है, वह उन्हें अपने समकालीन तमाम राजनेताओं से अलग खड़ा कर देती है. एक अनूठी क्रांतिकारी काव्यात्मकता है इस वक्तव्य में.
    चे की स्मृति को सलाम.

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  2. मैंने पढ़ा आपका अनुवाद.बेहतर है,और भी बेहतर हो सकता है,यदि आप इसमें से क्लिष्ट शब्दावली का लोप कर दें तो.बहरहाल यह अनुवाद भीगी आँखों से ही मुमकिन था. बधाई अशोक

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  3. चे के शहादत दिवस पर इस भाषण को पढ़वाने के लिए आपका आभार अशोक जी.

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  4. MOHAN SHROTRIY - किसी तकनीकी समस्या की वजह से टिप्पणी ब्लॉग पर नहीं आ पायी. यह एक अद्भुत वक्तव्य है जिसमें तमाम दर्द, भावुकता, और एक विश्वसनीय साथी को खो देने के अहसास के बावजूद कास्त्रो अत्यंत संयत, तर्कसंगत एवं काव्यात्मक ढंग से 'चे' के गुणों का बखान करते हैं. यह वक्तव्य उन्हें अपने समकालीन अन्य राजनेताओं से इस अर्थ में अलग खड़ा कर देता है कि कास्त्रो 'चे' के न रहने से उन्हें हुई क्षति को जो सन्दर्भ देते हैं, वह भी राजनेताओं की कुव्वत से परे है. एक विश्व-स्तरीय क्रांतिकारी द्वारा अपने निकटतम सहयोगी को दी गई यह श्रद्धांजलि अपनी 'गूँज' दूर तक पहुंचा देती है. पूरा भाषण पढ़ पाने का तो आनंद ही कुछ और होता. 'चे' ki स्मृति को सलाम.

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  5. काश...की जो स्वप्न उन्होंने देखा...वह निरंतर वास्तविकता से पोषण पाता रहता...कभी कभी निराशा होती है ....

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  6. che kranti k liye behtar manushya hone ki baat karte the. che ki shahadat ko lal salam.
    fidel k bhasan ka anuvad padvane k liye ashok bhai ko dhanyavad.

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  7. सच्चे क्रांतिकारियों मे श्रेष्ठ. चे को सलाम.

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  8. आपका अनुवाद अच्छा लगा । धन्यवाद ।

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