कल आइसा, नौजवान भारत सभा तथा अन्य संगठनों के हजारों कार्यकर्ता सडक पर थे. जल-जंगल-जमीन की लूट, शिक्षा के निजीकरण और भ्रष्टाचार के खिलाफ. जब सभा जुलूस की शक्ल में आगे बढ़ी तो बैरिकेड लगा दिए गए, प्रतिरोध करने पर भयावह लाठीचार्ज...यह मीडिया के लिए कोई खबर नहीं थी. वह अन्ना से लेकर रामदेव और टीवी सीरियल से फिल्मों तक के प्रमोशन अभियान को लेकर चीख-चिल्ला के आंदोलित हो सकती है, लेकिन जनता के आन्दोलन के लिए उसके पास कोई जगह नहीं. चाहे लाखों कर्मचारी सडक पर हों या हजारों युवा, जो इस लूट के खिलाफ आवाज उठाएगा उसे इस कारपोरेट मीडिया में कोई जगह नहीं मिलने वाली. यह हमारा काम है. जनपक्ष युवाओं की इस पहलकदमी और जुझारू लड़ाई का स्वागत करता है, बिरादराना सलाम पेश करता है और दमनकारियों की तीखी भर्त्सना करता है.
यहाँ अभियान की कुछ तस्वीरें कविता कृष्णन की फेसबुक वाल
ऐ लाल फरेरे तेरी कसम , इस खून का बदला हम लेंगे ..
जवाब देंहटाएंतस्वीरें ज़िंदा कौम की है।
जवाब देंहटाएंछात्रों -नौजवानों से अन्ना और रामदेव को सीखना चाहिए कि भ्रष्ट सत्ता के खिलाफ कैसे लड़ा जाता है . रात दिन राम लीला मैदान और जंतर -मंतर पर डट कर रिपोर्टिंग करने वाली मीडिया कहाँ गायब हो गयी ?......
जवाब देंहटाएंहम साथ हैं साथी ....
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