शहीद भगत सिंह
(27 सितंबर 1907- 23 मार्च 1931)
अवतार सिंह पाश
(9 सितंबर 1950 से 23 मार्च 1988)
भगत सिंह ने कहा…
बम और पिस्तौल कभी-कभी क्रांति को सफल बनाने के साधन हो सकते हैं…। विद्रोह को क्रांति नहीं कहा जा सकता। यद्यपि यह हो सकता है कि विद्रोह का परिणाम क्रांति हो। क्रांति शब्द का अर्थ ‘प्रगति के लिये परिवर्तन की भावना एव आकांक्षा है। यह ज़रूरी है कि पुरानी व्यवस्था हमेशा न रहे और वह एक नई व्यवस्था के लिये जगह ख़ाली करती रहे, जिससे कि एक आदर्श व्यवस्था संसार को बिगड़ने से रोक सके।
'इंक़लाब ज़िन्दाबाद क्या है' से
धर्म का रास्ता अकर्मण्यता का रास्ता है, सब कुछ भगवान के सहारे छोड़कर भगवान के सहारे हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाने का रास्ता है। वह कभी मेरा रास्ता नहीं बन सकता। जो लोग इस जगत को मिथ्या समझते हैं, वे कभी दुनिया की भलाई और इस देश की आज़ादी के लिये ईमानदारी से नहीं लड़ सकते। धर्म का रास्ता श्रमजीवी जनता के शोषण का हिंसक रास्ता है।
1928 में अवैद्यनाथ घोष से बहस में
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अवतार सिंह पाश की कविता
घास
मैं घास हूँ
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊंगा
बम फेंक दो चाहे विश्वविद्यालय पर
बना दो होस्टल को मलबे का ढेर
सुहागा फिरा दो भले ही हमारी झोपड़ियों पर
मुझे क्या करोगे
मैं तो घास हूँ हर चीज़ पर उग आऊंगा
बंगे को ढेर कर दो
संगरूर मिटा डालो
धूल में मिला दो लुधियाना ज़िला
मेरी हरियाली अपना काम करेगी...
दो साल... दस साल बाद
सवारियाँ फिर किसी कंडक्टर से पूछेंगी
यह कौन-सी जगह है
मुझे बरनाला उतार देना
जहाँ हरे घास का जंगल है
मैं घास हूँ, मैं अपना काम करूंगा
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊंगा
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शहीदी दिवस पर जनपक्ष परिवार की ओर से राजगुरु,सुखदेव, भगत सिंह और पाश को सलाम तथा आप सबका क्रांतिकारी अभिनंदन!
nice
जवाब देंहटाएंआभार विचार प्रस्तुत करने का!
जवाब देंहटाएं--
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
बहुत अच्छा है पाडेय जी । पाश की कविता यहाँ संवेदना को नया आस्वाद देती है । वैसे पाश ने भगतसिंह नाम से भी एक कविता लिखी थी ।
जवाब देंहटाएंकितना अर्थांतर हो चुका है आज क्रांतिकारिता का । कल लोग देश के लिए स्वयं का परित्याग कर देते थे और आज के क्रांतिकारी दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, निहत्थों की जाने ले रहे हैं ।
’घास’ -एक बहुत प्यारी कविता , घास को माध्यम
जवाब देंहटाएंबना कर कवि ने जो कहना चाहा है ,वो अद्वितीय है,
भगत सिंह ,सुखदेव ,राजगुरु ,अश्फ़ाक़ुल्लाह सहित सभी शहीदों को श्रद्धांजलि पेश करती हूं
आप को इस पोस्ट के लिए मुबारकबाद
शहीदेआजम भगत सिंह ने कहा था -‘‘भारतीय मुक्ति संग्राम तब तक चलता रहेगा जब तक मुट्ठी भर शोषक लोग अपने फायदे के लिए आम जनता के श्रम को शोषण करते रहेंगे। शोषक चाहे ब्रिटिश हों या भारतीय।’’क्या कहीं भी यह भारतीय मुक्ति संग्राम अस्तित्व में है ?
जवाब देंहटाएंदृष्टिकोण
www.drishtikon2009.blogspot.com
जब मैं पंजाब में था तो पाश के घर भी गया था। नकोदर (जालंधर) में उस दुकान पर भी गया जिसे उनके परिवार के लोग चलाते हैं। पुरानी यादें ताजा हो गईं। इस प्रस्तुतीकरण के लिए आपको दिल से बधाई।
जवाब देंहटाएंजब मैं पंजाब में था तो पाश के घर भी गया था। नकोदर (जालंधर) में उस दुकान पर भी गया जिसे उनके परिवार के लोग चलाते हैं। पुरानी यादें ताजा हो गईं। इस प्रस्तुतीकरण के लिए आपको दिल से बधाई।
जवाब देंहटाएंआज कई ब्लॉग्स पर शहीदों को नमन करके बहुत अच्छा लग रहा है. इस आभासी दुनिया में लोग याद कर रहे हैं उन मतवालों को, वरना यहाँ दिल्ली वालों को तो उनके नाम भी नहीं पता होंगे ( सबकी बात नहीं कर रही हूँ). यहाँ पाश की कविता पढ़कर जी खुश हो गया. बहुत दिनों बाद पढ़ने को मिली है. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही संवेदनशील रचना...एक नयी सोच लिए
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन
शहीदों को शत् शत् नमन!!
जवाब देंहटाएंshaheedi diwas per likhe gaye is vichaar ke liye aapko Dhanyawaad...Aise hi likhte rahen..
जवाब देंहटाएंघास का उगना एक नए रूप में दिखाई दिया है...
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