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मंगलवार, 20 जुलाई 2010

क्यूबाई क्रांतियुद्ध का संस्मरण-- चे ग्वेरा

( आजकल चे ग्वेरा के इस प्रसिद्ध संस्मरण का अनुवाद करने में लगा हूं…उसी से एक चैप्टर जनपक्ष के पाठकों के लिये)

एक गद्दार की मौत
इस छोटी सी सेना के फिर से एकजुट हो जाने के बाद हमने अल लोमोनो के क्षेत्र को छोड़कर एक नये क्षेत्र की तरफ बढ़ने का निर्णय लिया। रास्ते में हमने उस इलाके के किसानों से सम्पर्क बनाने और उस क्षेत्र में अपने आधार स्थापित करने की कोशिश की जो हमारे अस्तित्व के लिये आवश्यक था। उसी समय, हम सियेरा मैस्त्रा छोड़ रहे थे और मैदानी इलाकों की तरफ बढ़ रहे थे, उन जगहों की तरफ़ जहां हमें उन लोगों से मिलना था जो शहरों में काम कर रहे थे।

हम ला मान्टेरिया नामक गांव से गुजरे और उसके बाद एक छोटी सी धारा के पास की घनी झाड़ियों में हमने अपना कैम्प बनाया। यह एपिफेनिओ डियाज़ नामक व्यक्ति की संपत्ति थी जिसके पुत्र क्रांति की लड़ाई में शामिल हुए थे।

हम और करीब आये क्योंकि 26 जुलाई के आंदोलन के साथ और मज़बूत संपर्क स्थापित करना चाहते थे, क्योंकि हमारी खानाबदोश और गुप्त जिंदगी ने जुलाई आंदोलन के दो हिस्सों के बीच किसी भी प्रकार के सम्पर्क को असंभव बना दिया था।[1] ( विशिष्ट रूप में कहा जाय तो वे दो अलग-अलग ग्रुप थे, जिनकी भिन्न रणनीतियां थी और भिन्न योजना। बाद के महीनों में आंदोलन की एकता को ख़तरे में डालने वाला गहरी दरार अभी नहीं उभरी थी लेकिन हम पहले से ही देख पा रहे थे कि हमारी समझ अलग-अलग थी।)

इसी फार्म पर हम शहरी आंदोलन के सबसे प्रमुख लोगों से मिले- उनमें तीन महिलायें थीं जिन्हें अब क्यूबा में हर कोई जानता है : विलिमा एस्पिन, जो क्यूबा की महिला फेडरेशन की अध्यक्ष और राऊल की पत्नी हैं, हाईडी सैन्टामेरिया, जो अब कैसा डि ला अमेरिकास की अध्यक्ष हैं और आर्माण्डो हार्ट की पत्नी और सेलिया सान्चेज़ जो थोड़े दिनों बाद हमारे साथ पूर्णकालिक रूप में जुड़ गयीं और पूरे संघर्ष में हमारी प्रिय कामरेड रहीं। एक और व्यक्ति जो हमारे कैम्प में आये वह थे ग्रैन्मा के दिनों के हमारे पुराने परिचित फास्टिनों पेरेज थे, जो कुछ दिनों पहले एक मिशन पर शहर गये थे और अब हमें रिपोर्ट करने लौटे थे और फिर तुरत शहर लौट गये। (कुछ समय बाद वह गिरफ़्तार हो गये)।

हम अर्मान्डो हार्ट से भी मिले और यह सैन्टियागो के उस महान नेता फ्रैंक पायस से मिलने का मेरा इकलौता संयोग था।
फ्रैंक पायस उन लोगों में से थे जिनके लिये पहली मुलाकात से ही सम्मान पैदा हो जाता है। वह काफी हद वैसे ही लगते थे जैसा कि आजकल तस्वीरों में हम उन्हें देखते हैं लेकिन उनकी आंखों में अद्भुत गहराईयां थीं।


उस मृत कामरेड के बारे में कुछ कहना मुश्किल है जिससे मैं बस एक बार मिला हूं और जिसका इतिहास जनता की थाती है। मैं बस इतना कह सकता हूं कि उनकी आंखों से यह तुरंत पता लग जाता था कि वह एक उद्देश्य के लिये समर्पित हैं और यह कि वह एक श्रेष्ठ व्यक्ति हैं। आज उन्हें अविस्मरणीय फ्रैंक पायस कहा जाता है ; मेरे लिये, जिसने उन्हें बस एक बार देखा है, वह निश्चित तौर पर अविस्मरणीय थे। फ्रैंक उन तमाम अन्य कामरेडों में से एक थे जिनकी जिन्दगियां अगर इतनी जल्दी ख़त्म न कर दी गयी होतीं तो वे आज समाजवादी क्रांति के आम लक्ष्य को समर्पित होते। यह नुक्सान उस भारी कीमत का हिस्सा है जिसे जनता को मुक्ति हासिल करने के लिये चुकाना होता है।

फ्रैंक ने हमें अनुशासन और व्यवस्था के बारे काफी चीज़ें बताईं कि कैसे राईफलें साफ़ की जायें, कारतूसों की गिनती तथा पैकिंग की जायें जिससे वे गायब न हों। उस दिन से मैने तय किया कि मैं अपनी बन्दूक का बेहतर रख-रखाव करुंगा ( और यह मैने आज तक किया है, हालांकि मै यह नहीं कह सकता कि मैं कभी भी सुघड़ता का प्रतिमान रहा हूं।)

पुस्तक चित्र एमेजोन से साभार
वह झुरमुट और भी घटनाओं का गवाह रहा। पहली बार हमसे मिलने एक पत्रकार आये और वह भी विदेशी पत्रकार, वह थे प्रसिद्ध हर्बर्ट एल मैथ्यूज, जो अपने साथ एक छोटा सा बाक्स कैमरा लेकर आये थे जिससे उन्होंने हमारी वो तस्वीरें खींचीं जो बाद में बहुत ज्यादा प्रचारित हुईं और बतिस्ता के मंत्रियों के मूर्खतापूर्ण भाषणों में जिन पर बहुत विवाद पैदा किये गये। उस समय अनुवादक थे जेवियर पेजोस जो बाद में गुरिल्लाओं के साथ हो गये और काफी दिनों तक उसके साथ रहे।

फिडेल के अनुसार (क्योंकि मैं उस साक्षात्कार में उपस्थित नहीं था) मैथ्यूज ने ठोस सवाल पूछे, उनमें कोई चालाकी नहीं थी और वह ज़ाहिर तौर पर क्रांति के साथ सहानूभूति रखते थे। मुझे याद है कि फिडेल ने कहा था कि वह साम्राज्यवाद विरोधी थे और उन्हें यह ज़ोर देते हुए कि हथियारों का प्रयोग अन्तर्महाद्वीपीय सुरक्षा के लिये नहीं बल्कि जनता के दमन के लिये किया जायेगा खुले तौर पर बतिस्ता को हथियार दिये जाने का विरोध किया था।

मैथ्यूज की यह यात्रा स्वाभाविक रूप से बहुत छोटी थी। जैसे ही वह गये हम आगे बढ़ने के तैयार हो गये। तथापि हमें यह सलाह दी गयी कि हम अपनी सुरक्षा दुगनी कर लें क्योंकि आटिमियो उसी क्षेत्र में था। अल्मैदा को तुरत उसे ढूढ़ने और गिरफ़्तार करने का आदेश दिया गया। जूलियो डियाज, सेरो फ़्रायस,कैमिलो सिनेफ़्यूगो और एफ़िजेनिओ एमिजेरास के साथ गश्त रवाना की गयी। सेरो फ्रायस ने आसानी से आटिमियो पर काबू पा लिया और वह हमारे सामने लाया गया। हमें उसके पास एक प्वाइन्ट 45 पिस्तौल, तीन ग्रेनेड और केसिलास द्वारा ज़ारी सुरक्षित व्यवहार का पास मिला। पकड़े जाने के बाद और इन स्पष्ट सबूतों के मिलने के बाद उसे अपना हश्र मालूम था। वह फिडेल के सामने घुटनों पर झुक गया और उसने बस इतना कहा कि उसे मार दिया जाय। उसने कहा कि वह जानता है कि उसे मृत्यदण्ड ही मिलना चाहिये। उस क्षण वह बूढ़ा लग रहा था, उसके कपाल पर काफी सारे सफेद बाल थे जिन पर हमने पहले कभी गौर नहीं किया था।

वह असाधारण रूप से तनाव का क्षण था। फिडेल ने उसकी गद्दारी के लिये ऊंची आवाज़ में भर्त्सना की और आटिमियो बस यही चाहता था कि उसे गोली मार दी जाय क्योंकि उसे अपनी गल्ती का पता है। हम वह क्षण नहीं भूल सकते जब जब उसके एक करीबी दोस्त सेरो फ्रायस ने उससे बोलना शुरु किया : उसने आटिमियो को हर वह चीज़ याद दिलाई जो उसने उसके लिये की थी, उन छोटी-छोटी चीज़ों की याद दिलाई जो उसने और उसके भाई ने आटिमियो के परिवार के लिये की थी और यह कि किस तरह आटिमियो ने उसे धोखा दिया था- पहले सेरो के भाई की हत्या करवा के जिसे आटिमियो ने सेना से पकड़वा दिया था और फिर पूरे ग्रुप को नष्ट कराने की कोशिश करके। यह एक लंबा और विदारक भाषण था जिसे आटिमियो ने चुपचाप सिर झुकाकर सुना। हमने उससे उसकी आख़िरी इच्छा के बारे में पूछा और उसने कहा कि हां वह क्रांति से या फिर हमसे वह यह चाहता है कि उसके बच्चों का ख़्याल रखे।

इंकलाब ने अपना वादा निभाया। आटिमियो ग्वेरा का नाम आज इस किताब में आया लेकिन उसका नाम पहले ही भुलाया जा चुका है, यहां तक कि शायद उसके बच्चों द्वारा भी। अब उनके नये नाम हैं और वे हमारे तमाम नये स्कूलों में से एक में पढ़ते हैं। उनके साथ वही व्यवहार होता है जैसा कि जनता के दूसरे सारे बच्चों के साथ होता है। और वे एक बेहतर ज़िंदगी लिये तैयार हो रहे हैं। लेकिन एक दिन उनको जानना ही होगा कि उनके पिता की हत्या क्रांतिकारी नेतृत्व ने गद्दारी की वज़ह से कर दी थी। यह भी न्यायसंगत है कि उन्हें बताया जाये कि कैसे उनके पिता ने जो एक किसान थे ख़ुद को धन और गौरव की चाह में भ्रष्टाचार में फंसने दिया और एक संगीन जुर्म किया लेकिन इसके बावज़ूद उन्होंने अपनी ग़लती का एहसास किया और क्षमादान के लिये कोई प्रार्थना नहीं कि क्योंकि वह जानते थे कि उनका गुनाह इस योग्य नहीं था। और आख़िर में यह कि अपने अंतिम क्षण में उन्होंने अपने बच्चों को याद किया था और यह कहा था कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाये।

ठीक तभी तूफान आ गया और आसमान में अंधेरा हो गया ; तेज़ बारिश के बीच आसमान में बिजली कड़की और उसी बीच बंदूक की एक गोली से आटिमियो ग्वेरा की जिंदगी का अंत हो गया और उसके बेहद करीब खड़े कामरेड भी गोली की आवाज़ नहीं सुन पाये।

अगले दिन जब हम उसको दफ़ना रहे थे तो एक छोटी सी घटना हुई जो मुझे याद है। मैनुएल फजार्डो उसकी कब्र पर एक क्रास बनाना चाहता था लेकिन मैने उसे मना किया क्योंकि हत्या का ऐसा सबूत उन लोगों के लिये बहुत ख़तरनाक हो सकता था, जिनकी जगह पर हमने कैम्प बनाया था। इसलिये पास के पेड़ की टहनी से उसने एक क्रास बनाया। और यह था वह चिन्ह जो उस गद्दार की कब्र की पहचान देता था।

मोरान उस समय हमें छोड़ गया; उसे पता था कि तब तक उसका कितना कम विश्वास करते थे और हम सब उसे संभावित भगोड़ा मानते थे। एक बार वह तीन दिन तक गायब हो गया था और बहाना यह कि वह आटिमियो को ढूंढ़ रहा था और जंगल में गायब हो गया था।

जैसे ही हम आगे बढ़ने को तैयार हुए एक गोली की आवाज़ आई और हमने देखा कि मोरान के पैरों में गोली लगी है। जिस आदमी ने उसे देखा उससे उसकी गर्मागर्म बहस चल रही थी क्योंकि कुछ कह रहे थे कि यह गोली गल्ती से चल गयी थी और दूसरों का कहना था कि उसने जानबूझ कर ख़ुद को घायल किया है ताकि वह वहीं रुक सके।

मोरान का उसके बाद का इतिहास, उसकी गद्दारी और ग्वाटेमाला के क्रांतिकारियों के हाथों उसकी हत्या से लगता है कि उसने ख़ुद को गोली जानबूझकर ही मारी थी।

फिर हम निकल गये। फ्रैंक पायस ने हमसे वादा किया था कि अगले महीने, मार्च के आरंभ में वह हमें युवकों का एक समूह भेजेंगे जो जिबारो के पास एपिफानिओ डियाज़ के घर पर मिलेगा।


[1] आंदोलन के पहाड़ी और मैदानी, गुरिल्ला और शहरी हिस्से

5 टिप्‍पणियां:

  1. चे ग्वेरा के संस्मरण का अनुवाद......सिर्फ एक चैप्टर पढ़ कर प्यास और बढ़ गयी....प्रयास के पूर्ण आकार लेने की प्रतीक्षा में.

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  2. अनुवाद में पढ़ने में मज़ा आ रहा है.किताब कब आ रही है बताइयेगा. पूरी किताब पढ़ने का मन कर रहा है.

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  3. बहुत ही मेहनत से अनुवाद किया है...और हमें इतनी आसानी से पढने को मिल गयी.
    अच्छा लग रहा है, पढना....रोचक है और जानकारी से भरपूर भी .

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  4. प्रिय अशोक बहुत अच्छा अनुवाद है यह....... किताब के लिए बेसब्री बढ़ाने वाला. मेहनत साफ़ दिखती है और तुम्हारा समर्पण भी.

    ज़रा किसी जानकर से पूछो- ड का उच्चारण द होना चाहिए- जैसे फिदेल !

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  5. एक बेहद जरूरी कार्य. पुस्तक आने पर सूचित करे. चे पर एक और लेख http://omprakashkashyap.wordpress.com/2011/06/13/अर्नेस्टो-चे-ग्वेरा-अप्र/
    ओमप्रकाश कश्यप

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