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रविवार, 3 जुलाई 2011

भारतीय जनता पार्टी एक दिलचस्प पार्टी है - राजेश जोशी



भाजपा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य प्रभात झा के आत्महत्या की अनुमति वाले बयान पर वरिष्ठ कवि राजेश जोशी का यह आलेख लोकजतन से साभार  



भारतीय जनता पार्टी एक दिलचस्प पार्टी है। कभी-कभी मुझे लगता है कि अगर भाजपा द्वारा दिये जाने वाले वक्तव्यों और उसके कारनामों पर राजनीतिक -विरोध की भाषा में विचार न किया जाये तो वह पर्याप्त रूप से आपका मनोरंजन कर सकती है। बाबा रामदेव के आंदोलन पर पुलिस ने लाठी भांज दी तो अडवाणी जी का दिल दहल गया। उन्होंने उसकी तुलना जलियाँवाला बाग से कर डाली। एक दूसरे नेता को इस दृश्य से आपातकाल याद आगया। इसी बीच सुषमा स्वराज जी यह देश हे वीर जवानों का पर नृत्य करती नजर आयीं। कभी-कभी सोचता हूँ कि अगर जलियाँवाला बाग की बर्बर घटना के समय भाजपा और सुषमा जी होतीं तो दृश्य क्या होता? क्या सचमुच उस घटना के बाद वह नृत्य करतीं? आपातकाल के समय तो भाजपा की पैतृक पार्टी जनसंघ मौजूद थी। क्या आपातकाल की घोषणा के बाद किसी राष्ट्रवादी फिल्मी गीत पर उसने नृत्य किया था? क्या जेलों में भाजपा के नेता नृत्य करते रहे थे? फिर सुषमा जी से एक सवाल करने को मन बहुत दिन से मचल रहा है। राष्ट्रवादी गीत के रूप में यह देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का से बेहतर कुछ नहीं मिला?
अभी इस घटना से हुआ मनोरंजन समाप्त भी नहीं हुआ था कि एक और मनोरंजक वक्तव्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने परोस दिया। प्रभात झा ने मंहगाई की जनता पर होने वाली मार से व्यथित होकर राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग कर दी। हाय! झा साहब आपने यह क्या कह डाला! आपने एक बार भी नहीं सोचा कि आपकी मांग अगर मानली गयी तो इस महान पार्टी याने राजनीतिक दल का क्या होगा? फिर एक नये अध्यक्ष की तलाश उसे करना पड़ेगी। बहुत सरफुटव्वल के बाद तो आप पर पार्टी एकमत हुई थी। आप फिर पार्टी को मुसीबत में डालना चाहते हैं? मैं जानता हूँ आप ऐसा कुछ नहीं चाहते। आपको पता है कि संविधान में इच्छामृत्यु का प्रावधान नहीं है। राष्ट्रपति इसकी इजाजत नहीं देंगी और आप भी कौनसे मरने का विचार कर रहे हैं। इसे नाटक की भाषा में मैलोड्रामा कहा जाता है। भावुकता में लेकिन जब अतिशयोक्ति होती है तो वह हास्यरस बन जाती है। अब अगर आप सड़कों पर निकलें, चायघरों में और नुक्कड़ों पर जायें और लोगों की बातें सुनें तो आपको पता लगेगा कि आपके इस कारनामे की क्या प्रतिक्रिया लोगों पर हो रही है। आप तो राज्यसभा सदस्य भी हैं। लोग पूछ रहे हैं कि इस तरह की गैर कानूनी हरकत क्या आपको करनी चाहिये थी?
खैर अब राजनीतिज्ञ हों या इस देश के ढोगी करोड़पति -अरबपति बाबा किसको कानून की परवाह है। लेकिन मेरे मन में एक सवाल बहुत देर से कुलबुला रहा है, भाजपा इस प्रदेश का सत्ताधारी दल है और केन्द्र में मुख्य विपक्षी दल है, प्रभात झा इस दल के एक महत्वपूर्ण नेता हैं। प्रदेश में पार्टी के अघ्यक्ष हैं। राज्यसभा के सदस्य हैं। पूछा जाना चाहिये कि क्या भाजपा ने जनता की तकलीफों के बारे में संघर्ष के रास्तों का त्याग कर दिया है? क्या आगे से मंहगाई या दूसरे मामलों में भाजपा हड़ताल, प्रदर्शन या भूख हड़ताल, धरने आदि की जगह इच्छामृत्यु जैसे पलायनवादी रास्तों पर जायेगी? क्या एक राजनीतिक दल को इस तरह की पलायनवादी नौटंकी करना चाहिये ? एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को वक्तव्य देने से पहले सोचना चाहिये कि वह क्या बोल रहा है? इतनी कायरता तो सचमुच मंहगाई की मार झेल रही गरीब जनता ने भी नहीं दिखाई। भाजपा में आत्मघात की यह प्रवृत्ति कोई नयी नहीं है। मंडल आयोग के विरोध में युवा लोगों द्वारा किये गये आत्मदाह के कारनामे भी भाजपा के ही उकसावे पर हुए थे। हमारे एक मित्र का यह संदेह मुझे वाजिब लगता है कि हो सकता है इच्छामृत्यु की यह आत्मघाती राजनीति एक बड़ा रूप ले ले और चारों ओर से इस तरह की मांग का एक ज्वार दिखाई पडऩे लगे। ऐसा होता है तो यह क्या रूप लेगा इस पर विचार किया जाना चाहिये।
प्रभात झा से यह भी पूछा जा सकता है कि मंहगाई से इतनी ही व्यथा हो रही है तो बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, केरल, पंजाब, हिमाचल और उत्तराखण्ड की तरह उनकी प्रदेश सरकार डीजल, कैरोसिन और रसोई गैस की कीमतों में कमी की घोषणा क्यों नहीं कर रही है? आपको सचमुच जनता की व्यथा महसूस हो रही है या प्रदेश को कीमत बढऩे के कारण होने वाले 265 करोड़ के फायदे पर लार टपक रही है?

4 टिप्‍पणियां:

  1. Kiran Trivedi--- Rajesh Joshi has written this in a good humoured way. Particularly the reference to Advani's jaliyanwala comment and indication that had these party had danced on that Jaliyawala kand incident also!

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  2. सुंदर आख्यान। राजेश जोशी ने तो उसे भारतीय जोक पार्टी बना दिया।

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  3. prabhat jha aur advani ka comment us khaye-aghaye aadmi ka hi comment ho sakta he jo kisi ki shok sabha me jaye aur ice cream khate hue ro-ro kar santvana de. doNgi babaoN k aandolan me lathi charge se advani ka dil dahal jata he aur gujrat dangoN me logo ko zinda jalaya jana bhi sirf godhra ki pratikriya hoti he. JAY HO.

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