गुजरात माडल की बात ऐसे की जा रही है मानो विकास
नाम की चिड़िया लाशों से दाना-पानी लेती हो फिर भी पूज्य है. पुरानी बातें भुलाने
की बातें कुछ यों की जाती हैं जैसे वह कई सदी पुरानी बात हो. बाबर का बदला जुम्मन
से लेने को आतुर लोग मोदी और उसके गिरोह के लोगों पर अदालती कार्यवाही को भी कटघरे
में खड़ा करते हैं. ऐसे में आनंद कुमार द्विवेदी की यह ग़ज़ल उस स्मृति को न केवल
ताज़ा करती है बल्कि उसे बनाए रखने की वजूहात को भी साफ़ करती है.
हम रामराज लायेंगे गुजरात की तरह
इस देश को बनायेंगे गुजरात की तरह
बस एक बार होंगे जो होने हैं फ़सादात
झगड़े की जड़ मिटायेंगे गुजरात की तरह
अपराध नहीं पनपेगा, मुज़रिम न बचेगा
सबको सज़ा दिलायेंगे गुजरात की तरह
क्या कीजियेगा रंग-रंग के गुलों का आप
कुछ रंग हम हटायेंगे गुजरात की तरह
आतंकियों, जहाँ भी तुम्हारा मिला वजूद
वो बस्तियाँ मिटायेंगे गुजरात की तरह
पहले तमाम काम एजेंडे के करेंगे
पीछे विकास लायेंगे गुजरात की तरह
इस बार जो खायेंगे शपथ संविधान की
फिर घर नहीं जलायेंगे गुजरात की तरह
'आनंद' तू तो अपना है बेकार में न डर
हम गैर को सतायेंगे गुजरात की तरह
शुक्रिया भाई... बस इन कुछ अक्षरों / शब्दों से मैं अपने बहुत सारे भाइयों का कर्ज़ कम करने की कोशिश कर रहा हूँ !
जवाब देंहटाएंWaaaah बहुत ख़ूब...बेहतरीन रचना है सर...शेयर करने के लिये बेहद शुक्रिया...आनंद जी को बधाई...
जवाब देंहटाएंमेरी माँ जोधा से कह दो मिट गये बच्चे तेरे
थे हमारे ताज जितने, सब अजायबघर गये
-SIRAJ FAISAL KHAN
बेधक पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंshndaar Gazal se adhik ise samecheen gazal kahna chahiye ! bahut shukriya
जवाब देंहटाएंहम रामराज लायेंगे गुजरात की तरह
इस देश को बनायेंगे गुजरात की तरह
बहुत खूब!!!!
जवाब देंहटाएंपहले तमाम काम एजेंडे के करेंगे
जवाब देंहटाएंपीछे विकास लायेंगे गुजरात की तरह ...वाह वाह ...
वाह वाह ...पहले तमाम काम एजेंडे के करेंगे
जवाब देंहटाएंपीछे विकास लायेंगे गुजरात की तरह
विकसित भारत की तस्वीर दिखायेंगे गुजरात की तरह. धर्म और उद्योग पनपायेंगे गुजरात की तरह.
जवाब देंहटाएंइस ग़ज़ल को पढ़कर मैं भी गुजरात हो गया हूँ.... आनंद भाई का आभार इतनी बेधक रचना के लिए।
जवाब देंहटाएंवाह भाई बहुत ही मौजू गजल है ...
जवाब देंहटाएंbahut khoob माया कोदनानी को मंत्री बनायेगे
जवाब देंहटाएंफिर उसे फांसी के लिए जोर भी लगायेगे
वह भी तब जब पेटीशन की अवधि बीत चुकी हो ड्रामे बाज ......और लोग अभी भी यह कह रहे है की वाजपयी जी ने राज धर्म की बात कही थी उस समय कौन सा राज धर्म था
आनंद भाई का आभार.
जवाब देंहटाएंgujraat! aah!
जवाब देंहटाएंFiroj khan
Bahut sahee likha hai par iktarfa.
जवाब देंहटाएंbahut khoob likhaa...gujrat ki tarah
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