अभी हाल में


विजेट आपके ब्लॉग पर

शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

थू करने के लिए नही है मेरी जबान पर थूक - कैलाश वानखेड़े

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब धार ज़िले से ख़बर आई थी कि एक तहसीलदार ने दलित बच्चों से जाति प्रमाणपत्र के लिए जानवरों की खाल उतारते हुए अपनी तस्वीरें प्रस्तुत करने के लिए कहा था! हम सब क्रोधित थे...पर शायद हुआ कुछ नहीं! मुझे याद है कि कभी धार के एस डी एम रह चुके कैलाश वानखेड़े को जब मैंने नागपुर से फ़ोन लगाया था तो उनकी आवाज़ काँप रही थी. एक तरफ़ 'जाति अब कहाँ है' जैसी बातें तो दूसरी तरफ समाज में ज़िम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की ऐसी जातिवादी कुत्सित मानसिकता. संक्रमण का यह दौर अभी बीता नहीं है.
आज कैलाश भाई ने यह कविता भेजी तो लगा कि वह गुस्सा भीतर की आँच से पककर निकला है..
तस्वीर यहाँ से साभार 




बकवास करते है आप
 ,जाति कहाँ है ?

बीच बाजार में घसीटकर 
लटका दिया उल्टा
वही जहाँ है फव्वारे और खिलने की प्रतीक्षा में
 ढेर सारे फूल
ठीक उसी सड़क पर जो हवाई अड्डे से
 औद्योधिक केंद्र को खींचती है 
जिसका दूसरा हाथ बिग बाजार के माल के नीचे रखा हुआ है
 
वही पर
 
गरदन को धड से अलग करने के लिए
 
तलवार से काटा गया
 
खून निकला और वही जिसे कली कहकर
 मुस्कुराते हो 
फूल बनने से पहले उसके भीतर चला गया
 
किसी को पता ही नहीं चला
 
काले शीशे से लाल रंग तो दिखता नहीं लाल
 
और हीरो होंडा बजाज से निगाह आगे की तरफ होती है
 
उनकी नजर में भी घुस न सका खून
राहगीर नहीं है कोई उसकी राह निगल गया
फुटपाथ को तो घेरकर शर्मा स्वीट सेंटर ने कंजूमर के हवाले कर दिया 

उसी वक्त सुपारी के कारखाने में जल रहा है कुछ तो भी
 
भट्टी के नीचे
 
सुपारी को सेंकने के लिए और फ़ैल रहा है धुआँ
जो जाता है सीधे आँखों में
 
मसलते है और आगे बढ़ जाते है कि उनके पास नहीं है वक्त
 
गाली देने के लिए भी
कि जबान मोबाइल पर बोलने की प्रतीक्षा में है 
तभी किसी आवाज से कोई समाचार आता है
 
दिमाग के भीतर भट्टी में
 ...
पहाड़ियों में गड्डों से जाता नहीं हर कोई डही
जहाँ फरमान हुआ है
 

तस्दीक करनी है उसी जाति के तो हो लेकिन
 वही काम करते हो ?

भरोसा ही नहीं होता मनुष्य को देखकर
 
कागज़ पंचनामा रिकार्ड शपथपत्र
सब हो सकते है फर्जी
 

बनाया जा सकता है आदमी को भी फर्जी
 
जाति प्रमाण पत्र तो सदियों से बनाए जाते रहे है
 
सदियों से करते आ रहे है यही कामधंधा हमारे पुरखे
 
तब शिवाजी की जाति के लिए बनारस से बनवाये गया था रिकार्ड
 

अब कलयुग में ऊँची जात का नहीं चाहिए प्रमाण
 
वो तो रोटी बेटी से कर लेते है
 
बार बार हजार बार सरेआम कहते है
 
कभी अपने गरीब होने के
 पुच्छ्ले को जोड़कर तो कभी मूंछ पर ताव देकर 
कहते हो ही ही करते हुए बनिया आदमी हूँ
 

तय कर देते हो
 खुद को
गर सामने वाला भूल गया हो तो याद कर ले अपनी जाति 

कोटा
 ,आरक्षण रिजर्वेशन मेरिट प्रतिभा पलायन देश दुनिया 
राजनीती वोटबैंक गंदगी कचरा फिल्म हिरोइन एसएमएस
 एमएमएस वाट्स अप नीली फिलिम गाने ....बाय करते हो 
कि भोत काम बाकि है
 
ये जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है
 
ये देश भी कोई देश है ...

उस बच्चे से जिसे भगवान का रूप बोलते हुए किसी को शर्म नहीं आती
 
कहते हो पाना हो स्कालरशिप तो ले आओं मरे हुए जानवर के साथ
अपना फोटो...
गाँव ,पटवारी,पंचायत ,स्कूल के प्रमाण के बाद भी जरुरी बना देते हो 
संतुष्टि के लिए फोटो .


ढाई सौ किलोमीटर दूर जब सुनता हूँ
 
तो अपने को किसी
 मंत्रोच्चार की गुफा में पाता हूँ 
सन्न
 हूँ 
कि कितने कुत्सित विचार है तुम्हारे
 
कि मानसिकता की सडन के बाद भी तुम अभी भी हो
 
उसी गटर के कीड़े जो रेंगता है गंदगी छोड़ता है और सड़ जाता है
 
थू करने के लिए नही है मेरी जबान पर थूक
 

बस बचे है मेरे पास शब्द जिन्हें वापरता हूँ
 
कि चूल्हा जलाने के काम आ जाए
 
कि कक्षा नौ के पाठ की तरह अपने बेटे को पढ़ा सकूँ
 
जब कोई मांगे तुमसे इस तरह का प्रमाण
 
तो मेरी
 तरह खुद का क़त्ल मत होने देना
मेरे बेटे उससे कहना अंकल जी मेरे पास है एट्रोसिटी का कागज
 
घर में है संविधान


8 टिप्‍पणियां:

  1. वाजिब गुस्से की आंच में पकी कविता.

    एट्रोसिटी का काग़ज़ और संविधान भी बस हैं ही, किसी काम के नहीं.

    जवाब देंहटाएं
  2. kailash wankhede ki lekhni me bhut tej dhar dikhti hai..mujhe unki lekhni se bhut ummide hain..chubhti huyi takleef seedhe pathak ko chubhti hai.

    जवाब देंहटाएं
  3. kailash wankhede ki lekhni tej dhardar hai..unki lekhni se bhut ummide hain..takleef aur gussa ek saath chubhta hai.

    जवाब देंहटाएं
  4. जब जब संविधान की शपथ खा मनुस्मृति की रक्षा करते ऐसे महान अधिकारियों को देखता हूँ तब तब लगता है कि सिस्टम के अन्दर से काम करने की सलाह देने वालों को खारिज कर देने का निर्णय कितना सही, और जरुरी था.

    जवाब देंहटाएं
  5. सन्न हूँ
    कि कितने कुत्सित विचार है तुम्हारे
    कि मानसिकता की सडन के बाद भी तुम अभी भी हो
    उसी गटर के कीड़े जो रेंगता है गंदगी छोड़ता है और सड़ जाता है
    थू करने के लिए नही है मेरी जबान पर थूक

    जवाब देंहटाएं
  6. puniya ji gaur avashya kare.. shayad bato aur rajniti se jyada karne ke alawava kuch sakaratmak karne ki prerna mile..

    जवाब देंहटाएं

स्वागत है समर्थन का और आलोचनाओं का भी…