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शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

लगता है कि झंझोड़ कर उठाये जाने के लिए तैयार हो जाना होगा.







मैं थक चुका हूँ.


पिछले तीन दिन मैंने अध्यापकों, रेल कर्मचारियों, ट्रक ड्राइवरों, नर्सों आदि के साथ एक नाकेबंदी से दूसरे नाकेबंदी पर घूमते हुए बिताये हैं. अब तक हमारे सेक्टर में हमने अर्नेजेस आयल डिपो को शुक्रवार सुबह चार बजे से अब तक पूर्णतः बंद रखने का कारनामा जारी रखा है. इसके परिणामस्वरूप, सत्तर किलोमीटर के घेरे में सभी पेट्रोल पम्प बंद हैं, उनके पास बिल्कुल भी ईन्धन नहीं है. मैं शुक्रवार की रात चार घंटे सोया, शनिवार को छः घंटे, सोमवार को दो घंटे...आज हमारे प्रयासों से अध्यापकों की प्रमुख यूनियन ने सभी हड़ताली अध्यापकों से आगे आकर बचे हुए ईंधन डिपो अवरुद्ध करने का आवाहन किया.

पुलिस हस्तक्षेप नहीं कर सकती, क्योंकि ट्रक ड्राइवरों ने आयल डिपो तक जाने वाले सभी प्रमुख रास्तों पर अवरोध लगा दिए हैं.


बिल्कुल भी ईंधन नहीं बचा और लोग अपने अपने घरों में अटके हुए हैं इस सच्चाई के बावजूद अविश्वसनीय तौर पर (आज हुए ओपिनियन पोल के अनुसार) 71 प्रतिशत जनता हड़ताल का समर्थन करती है.


यह आन्दोलन कम-अज़-कम एक हफ्ता और चलने की संभावना है. मैंने रविवार की पूरी रात ट्रांसपोर्ट (रेलवे और ट्रक) कामगारों के साथ ताश खेलते हुए और बियर पीते हुए बिताई. सुबह चार बजे के पास अच्छी-खासी ठण्ड (दो डिग्री सेल्सियस) थी, मगर रेल कामगार लकड़ी के डिब्बों के कई ट्रक भरकर ले आये और हमने एक बड़ा सा अलाव जलाया. पड़ोसी रेनोल्ट फैक्टरी के हड़ताली मजदूर पटाखे लेकर आये और हमने अलस्सुबह पटाखे चलाये.


आखिरी दम तक लड़ने के लिए मजदूर कृतसंकल्प हैं. जिन मजदूरों ने काम नहीं रोका उन्हें अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा अत्यधिक 'महत्वपूर्ण' क्षेत्रों के मजदूरों को देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. व्यक्तिगत तौर पर यह हड़ताल का मेरा छठा दिन है. कभी ख़त्म होने वाली हड़ताल बेहद प्रभावी तरीका शायद हो, इसलिए अब आम सहमति यह है कि 'रिवॉल्विंग' हड़तालों से हम लम्बे समय तक टिके रह पायेंगे.


'जनसामान्य' का सहयोग चौंकाने वाला है. जब हम हाइवे पर अवरोध लगाते हैं, तो ड्राइवर अक्सर हॉर्न बजाकर हमारा समर्थन करते हैं, हमें पैसे देते हैं, हमें अखबार थमाते हैं, बावजूद इसके कि हम उन्हीं का रास्ता रोक रहे हैं. अगले तीन दिनों तक हड़ताल पर रहने का मैंने फैसला किया है पर इसलिए क्योंकि मैं अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहता हूँ और यूनियन भी इस बात का समर्थन कर रही है. कुछ साथियों को घर गए चार दिन हो चुके हैं और यूनियन चिंतित है कि इससे उनके पति-पत्नियों को समस्या हो सकती है जिन्हें बच्चों की देखभाल करनी पड़ रही है और ऐसा होने पर हमारा संकल्प कमज़ोर ही होगा.


फ्रांस की सभी बारह रिफाइनरियाँ अगले शुक्रवार तक हड़ताल पर हैं. कई डिपो ब्लॉक कर दिए हैं. फ़्रांस की आधी रेलगाड़ियाँ ब्लॉक कर दी गई हैं (इसमें प्रमुख रेलवे जंक्शन शामिल हैं). प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों को जाने वाले रास्ते ट्रक ड्राइवरों ने रोक दिए हैं, और फैक्टरियां चल नहीं सकतीं क्योंकि उनके पास कच्चा माल नहीं है (माल का स्टॉक उन्होंने नहीं रखा क्योंकि उन्हें लगता है भंडारण महंगा पड़ता है).


जो भी हो, माहौल बयां नहीं किया जा सकता. हर क्षेत्र के मजदूर एकजुट और कृतसंकल्प हैं, और पहली बार कई मजदूर दूसरे उद्योगों में काम करने वाले लोगों से बात कर पा रहे हैं यह जानकर कि उनकी मंजिल एक है.


एकमात्र समस्या यह है, कि काम पर वापिस जाना मुश्किल होगा, बेहद मुश्किल. मगर सरकार की कृपा से जनता अगले हफ्ते तक हड़ताल पर बने रहने को तैयार है. आगे सोचेंगे.


यह एक आम हड़ताल है और जिन अनेकों आम मजदूरों से मैंने बात की है तब तक काम शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जब तक सेवानिवृत्ति की उम्र फिर से साठ साल नहीं कर दी जाती.


कुछ समस्याएं अब भी है, बावजूद इसके कि पिछले मंगलवार के बाद से बहुत कुछ पा लिया गया है.


1) हड़ताल अब अनिश्चितकालीन है.

2) यूनियन के सदस्य अब यूनियन के अधिकारियों से सहायता मांग रहे हैं और वे सहायता करने को मजबूर हैं.

3) आम राय ज़बरदस्त रूप से हड़ताल के पक्ष में है

4) अवरोध का आर्थिक प्रभाव मालिकों द्वारा बढ़ता महसूस किया जा रहा है, और वे समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार का अनुसरण करें या समझौते की मांग करें.

5) विभिन्न क्षेत्रों के कामगारों के बीच सच्चा साहचर्य हड़ताल से पैदा हुआ है, और ब्लू कॉलर और व्हाइट कॉलर मजदूरों के बीच की दूरी पाटी जा रही है.

6) तनख्वाह के नुकसान के बावजूद, कामगारों का इरादा अब भी बेहद मज़बूत है, क्योंकि वे वास्तव में देख रहे हैं कि अगर उन्हें पैसों का नुकसान हो रहा है तो उनके मालिकों को भी.

नकारात्मक बिंदु:


1) सरकार ने आपात स्थिति की घोषणा कर दी है 'जो देश को बर्बाद करना चाहते हैं' उन को कारावास की सजा देने की धमकी दे रही है. बेशक इन धमकियों को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा, फिर भी....


2) भड़काने वाले तत्त्व सरकारी इमारतों को जला रहे है और उसका इल्जाम हड़तालियों पर लगा रहे हैं.

3) सरकार 'शान्ति बहाल करने वाली' दिखाई देने की कोशिश में है और यूनियनों पर 'अलोकतांत्रिक व्यवहार' का आरोप लगा रही है 'क्योंकि धरना देने वालों की कतारें उन लोगों को रोक रही हैं जो काम पर जाना चाहते हैं'

4) यूनियन कार्यकर्ताओं और यूनियन नेताओं के बीच तनाव बढ़ रहा है. अफवाह है कि नेतागण 'बिकवाली' के लिए तैयार हैं.

5) वामपंथी राजनीतिक पार्टियाँ लोगों से कह रही हैं कि हड़ताल पर जाना अच्छी बात है, मगर २०१२ के राष्ट्रपति चुनावों में 'समाजवादी' प्रत्याशी को वोट देना ही एकमात्र रास्ता है. हाँ! 'समाजवादी' सरकार, बिल्कुल यूनान देश की तरह.

अब तक मैंने अपना चौथा मासिक वेतन खोया है, अनजान लोगों ने मेरी कार का शीशा चकनाचूर कर दिया, मगर मैं बेहद ख़ुशी महसूस कर रहा हूँ जिस तरह आम जनता ने फैसला किया कि अब बहुत हो चुका.

लगता है कि झंझोड़ कर उठाये जाने के लिए तैयार हो जाना होगा.




(मार्क्सिज्म मेलिंग लिस्ट पर फ़्रांस से डैन के. की पोस्ट; अन्य तस्वीरें यहाँ देखी जा सकती है)

1 टिप्पणी:

स्वागत है समर्थन का और आलोचनाओं का भी…