अभी हाल में


विजेट आपके ब्लॉग पर

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

महमूद दरवेश को याद करते हुए


महमूद दरवेश 
[ 13 मार्च 1941 -- 9 अगस्त 2008 ] 



अगर लौट सकूं शुरूआत तक 
कुछ कम अक्षर चुनूंगा अपने नाम के लिए
:: :: :: 

अगर जैतून के तेल जानते होते उन हाथों को 
जिन्होनें रोपा था उन्हें,
आंसुओं में बदल गया होता उनका तेल 
:: :: :: 

आसमान पीला क्यूं पड़ जाता है शाम को ?
क्यूंकि तुमने पानी नहीं दिया था फूलों में.
:: :: ::  

मैं भूल गया बड़ी घटनाएं और एक विनाशकारी भूकंप 
याद है मुझे आलमारी में रखी अपने पिता की तम्बाकू.
:: :: :: 

इतना छोटा नहीं हूँ कि बहा ले जाएं मुझे शब्द 
इतना छोटा नहीं हूँ कि पूरी कर सकूं यह कविता. 
:: :: :: 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब अनुवाद से बोझिल नहीं हैं रचनाएं .अच्छा लगा इस ब्लॉग पे आके .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Wednesday, August 10, 2011
    पोलिसिस -टिक ओवेरियन सिंड्रोम :एक विहंगावलोकन .
    व्हाट आर दी सिम्टम्स ऑफ़ "पोली -सिस- टिक ओवेरियन सिंड्रोम" ?


    सोमवार, ८ अगस्त २०११
    What the Yuck: Can PMS change your boob size?

    http://sb.samwaad.com/
    ...क्‍या भारतीयों तक पहुंच सकेगी जैव शव-दाह की यह नवीन चेतना ?
    Posted by veerubhai on Monday, August ८

    जवाब देंहटाएं
  2. मनोज भाई,

    आपके अनुवादों पर टिप्पणी करना अब मुश्किल होता जा रहा है...शब्द ही नहीं बचे प्रशंसा के लिए...बस सलाम!

    जवाब देंहटाएं

स्वागत है समर्थन का और आलोचनाओं का भी…